झारखंड में बिन मरजी धर्मांतरण पर जेल,कैबिनेट ने लगायी मुहर
रांची: झारखंड कैबिनेट ने जबरन धर्मांतरण रोकने के उद्देश्य से तैयार विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी. इसे झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 के नाम से जाना जायेगा. विधेयक में तय प्रावधान के अनुसार, जबरन या लालच देकर किसी का धर्मांतरण कराना संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आयेगा. इसे गैर जमानती अपराध माना जायेगा. जबरन धर्मांतरण करानेवाले को तीन से चार साल तक की सजा और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. विधेयक में लालच शब्द को भी परिभाषित किया गया है.
धर्मांतरण के लिए नकद, कोई उपहार, कोई सामग्री और आर्थिक लाभ देना लालच की श्रेणी में आयेगा. जबकि, जबरन शब्द को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाने के लिए धमकी देना और सामाजिक बहिष्कार करना के रूप में परिभाषित किया गया है.
विधेयक में तय प्रावधान के अनुसार, जबरन या प्रलोभन देकर किसी का धर्मांतरण करानेवाले को 50 हजार का जुर्माना और तीन साल की जेल की सजा मिलेगी. महिला और एससी, एसटी के मामले में सजा की अवधि बढ़ा कर चार साल और दंड की रकम एक लाख रुपये होगी. किसी भी व्यक्ति या पुरोहित को धर्मांतरण के लिए समारोह आयोजित करने के लिए पहले उपायुक्त से अनुमति लेनी होगी. ऐसा नहीं करने पर एक साल की जेल और पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है. जबरन धर्मांतरण से संबंधित किसी भी मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक के नीचे के अधिकारी नहीं करेंगे.