मुख्यमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को किया सम्मानित
भोपाल :मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि फीस नियमन के प्रस्तावित कानून का प्रारूप लगभग तैयार है। यह प्रयास है कि व्यवहारिक और संतुलित व्यवस्था बने जिसमें शिक्षण की संस्थाओं द्वारा पालकों का शोषण नहीं किया जा सके। साथ ही शिक्षा की अच्छी व्यवस्था का मार्ग भी अवरूद्ध नहीं हो।
श्री चौहान आज यहाँ ई – टीवी द्वारा आयोजित सुशिक्षा कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली पाँच विभूतियों का सम्मान किया। इनमें कुमारी मुस्कान अहिरवार को दो लाख रूपये और श्री ईश्वरी प्रसाद तिवारी, श्री संजय राठौर, श्री चंदन पाल और दिव्यांग श्री वीरेन्द्र सर को एक – एक लाख रूपये सम्मान निधि देने की घोषणा भी की। भोपाल की बस्ती दुर्गानगर में 9 वर्षीय बालिका कुमारी मुस्कान द्वारा संचालित पुस्तकालय के लिये कक्ष की व्यवस्था करवाने के निर्देश दिये। इस अवसर पर राजस्व मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता, उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने समाज के प्रबुद्ध, सक्षम और जनसेवियों का आव्हान किया कि गरीब बच्चों की जिंदगी संवारने और विद्यालयों की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के प्रयासों में सहयोग के लिये आगे आयें। स्कूल की जिम्मेदारी लेकर उसकी बुनियादी व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने में सहयोग दें। सुविधानुसार विद्यालयों में जाकर शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहयोग करें। आगामी 26 अगस्त को आयोजित होने वाले अभियान मिल बाँचें मध्यप्रदेश के तहत स्कूलों में जायें। उन्होंने अपील की है कि भिक्षावृत्ति और पन्नी बीनने में बचपन को बिखरने नहीं दें। ऐसे बच्चों के रहने, खाने, वस्त्र, शिक्षा-दीक्षा की संपूर्ण व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा करवाये जाने की व्यवस्था है। जिले के कलेक्टर योजना के प्रभारी हैं। नागरिकगण ऐसे बच्चों के जीवन को संवारने में मदद करें।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में बताया कि मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना में संशोधन करवाकर ड्रॉप लेने वाले मेधावी विद्यार्थियों को लाभान्वित करवाने का संशोधन हो गया है। उन्होंने बेरोजगारी को दूर करने, कौशल उन्नयन की आवश्यकता, ग्लोबल स्किल पार्क, युवाओं में उद्यमिता को बढ़ाने, छात्र संघ चुनाव और फीस नियमन आदि विषयों पर भी विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली शिक्षण संस्थाओं को भी सम्मानित किया।