बिहार शराबबंदी से नशामुक्ति की तरफ बढ़ रहा है : नीतीश
पटना: आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद सभाकक्ष में बिहार पुलिस द्वारा आयोजित मादक पदार्थों के दुरूपयोग एवं अवैध व्यापार के विरूद्ध अन्तर्राष्ट्रीय दिवस समारोह 2017 का मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया।
इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं मादक पदार्थों के दुरूपयोग एवं अवैध व्यापार के विरूद्ध अन्तर्राष्ट्रीय दिवस समारोह के आयोजन के लिये पुलिस मुख्यालय को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि बिहार शराबबंदी से नशामुक्ति की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी, नशामुक्ति कोई साधारण कार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि जब शराबबंदी का निर्णय लिया गया तो कुछ लोगों ने इसका मजाक उड़ाया। कुछ लोग शराबबंदी को अपने मौलिक अधिकार से जोड़ते हैं।
यह लिबर्टी का नहीं, बर्बादी का विषय है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के निर्णय को व्यापक समर्थन मिला है, यह जगजाहिर है। उन्होंने कहा कि घटनायें तो घटित होती रहेंगी। समाज में अलग-अलग तरह के लोग होते हैं। कानून जितना भी कड़ा हो, कुछ लोग कानून तोड़ने से बाज नहीं आते हैं। कुछ लोग अवैध धंधे कर रहे हैं। बच्चों को भी अवैध धंधों में लगा देते हैं।
लालच के कारण कुछ लोग इस धंधे में लगे हुये हैं। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के पक्ष में विशाल बहुमत है। चंद लोग यह दिखाते हैं कि शराबबंदी फ्लाॅप हो गया है। इससे गड़बड़ी की जानकारी मिल जाती है और गड़बड़ी के विरूद्ध कार्रवाई मजबूती के साथ होती है। मैं इसको सकारात्मक रूप में लेता हूं।
लोग अगर कमियों को उजागर करते रहेंगे तो शराबबंदी पूरी तरह से लागू होगा। उन्होंने कहा कि अब हमारा लक्ष्य नशामुक्ति है। शराबबंदी के पक्ष में बनाये गीत में भी नशामुक्ति की बात कही गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के पक्ष में जबर्दस्त वातावरण बनाया गया था। 1 अप्रैल 2016 के दो से ढाई महीना पहले से शराबबंदी के पक्ष में अभियान चलाया गया था। इस अभियान में एक करोड़ 19 लाख अभिभावकों ने अपने बच्चों के माध्यम से शराब नहीं पीेने का शपथ पत्र भरकर जमा किया था। 9 लाख जगहों पर दीवार पर नारे लिखे गये थे। हजारों जगहों पर नुक्कड़-नाटक का मंचन किया गया था। उन्होंने कहा कि पहले पूर्ण शराबबंदी खण्डवार लागू करने की योजना थी। 1 अप्रैल 2016 से शहरी क्षेत्र को छोड़कर शराबबंदी लागू की गयी परन्तु चलाये गये अभियान का शहरों में भी ऐसा प्रभाव पड़ा कि कोई भी शराब के दुकान को खुलने नहीं दे रहा था। माहौल को देखते हुये 5 अप्रैल 2016 से पूरे बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गयी।