सरकारी डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस की छूट
रांची: झारखंड हेल्थ सर्विस एसोसिएशन (झासा) ने 15 अक्तूबर को सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला वापस ले लिया है. स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी, झासा और आइएमए के साथ हुई बैठक में इस पर सहमति बन गयी है. झासा के सचिव डॉ विमलेश ने सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला वापस लेने की घोषणा की. साथ ही कहा भी कि 15 नवंबर तक सरकार को डॉक्टरों की मांग पूरी करने का समय दिया गया है.
वार्ता के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सभी मांगों पर सहमति बन गयी है. मंत्री ने कहा कि सरकारी डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने की इजाजत दी गयी है. पर डॉक्टर जिस जिले में पदस्थापित हैं, उसी जिले में ड्यूटी के बाद अपना क्लीनिक चला सकते हैं. सरकारी अस्पताल के मरीज को वह अपने क्लीनिक में भरती नहीं कर सकते हैं.
निदेशक प्रमुख को विशेष सचिव का दर्जा : स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के विद्यासागर ने बताया कि निदेशालय के सुदृढ़ीकरण पर पूर्व से ही काम चल रहा था. निदेशक प्रमुख को विशेष सचिव का दर्जा दिया जा रहा है. सुधार के लिए सुझाव देने में झासा के प्रतिनिधि भी रहेंगे. ओपीडी का समय भी सुबह नौ से दोपहर तीन और दोपहर तीन से छह बजे तक का निर्धारित किया गया है. डॉक्टरों के स्थानांतरण के लिए भी नीति बनायी जा रही है. गांवों में सेवा देनेवाले एमबीबीएस डॉक्टर के लिए पीजी में 50 प्रतिशत सीट आरक्षित करने पर भी सहमति बनी है.
20 सूत्री मांगों को लेकर झासा ने दी सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी : झासा ने 20 सूत्री मांगों को लेकर सामूहिक इस्तीफा की चेतावनी दी थी. दो-दो बार वार्ता विफल हो जाने पर शुक्रवार को नेपाल हाउस में मंत्री के साथ दो घंटे तक वार्ता चली. इस दौरान अधिकतर बिंदुओं पर सहमति बन गयी है. मंत्री ने कहा कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट का प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है. क्लीनिकल इस्टैबलिस्टमेंट एक्ट में संशोधन संभव नहीं है.