रूस से कुडनकुलम परमाणु संयंत्र समेत पांच समझौते
सेंट पीटर्सबर्ग : चार यूरोपीय देशों की यात्रा के बीच तीसरे चरण मे सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों पर रूस के साथ बहुप्रतीक्षित समझौते को अंतिम रूप दिया। मॉस्को की ही मदद से लगनेवाले इस संयंत्र में शुरुआती अवरोध थे जिससे उबरते हुए दोनों देश इस समझौते तक पहुंचे हैं।
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की इकाइयों- पांच और छह के लिए जनरल फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (जीएफए) और ऋण सहायता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की वार्षिक शिखर-वार्ता का सबसे प्रमुख परिणाम माना जा रहा है।
रिएक्टरों का निर्माण भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और रूस के परमाणु संस्थानों की नियामक इकाई रोसाटॉम की सहायक कंपनी एस्टोमस्ट्रॉयेएक्सपोर्ट करेंगे। दोनों इकाइयों की उत्पादन क्षमता एक-एक हजार मेगावाट है।
‘21वीं सदी के दृष्टिपत्र’ शीर्षक वाले दस्तावेज में कहा गया है कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं ऊर्जा के क्षेत्र में एक-दूसरे की पूरक हैं और दोनों देश एक ऊर्जा सेतु बनाने की दिशा में काम करेंगे। इसमें कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा, परमाणु ईंधन चक्र और परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी समेत व्यापक परिप्रेक्ष्य में भारत-रूस सहयोग का भविष्य उज्ज्वल है।
घोषणा-पत्र में कहा गया कि भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ती साझेदारी ने भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल की तर्ज पर भारत में आधुनिक परमाणु उत्पादन क्षमताओं के विकास के अवसर खोले हैं। इसके अनुसार, भारत और रूस यह प्रतिबद्धता रखते हैं कि 24 दिसंबर 2015 को हुए ‘प्रोग्राम ऑफ एक्शन फॉर लोकलाइजेशन इन इंडिया’ को दृढ़तापूर्वक लागू किया जाएगा और परमाणु उद्योगों को आपस में मजबूत साझेदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
भारत में सभी 22 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की मौजूदा परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता 6780 मेगावाट है।
ऊर्जा सहयोग मजबूत होगा : ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में परमाणु, हाइड्रोकार्बन, पनबिजली व नवीकरणीय स्रोत शामिल होंगे। इसके साथ ही दोनों देशों ने रूस के आर्कटिक क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन की उत्खनन व खनन की संयुक्त परियोजनाएं शुरू करने पर भी सहमति जताई।
उड्डयन क्षेत्र में संबंध मजबूत : नागरिक उड्डयन नीति 2016 भारत निर्मित विमानों के लिए भी प्रोत्साहन उपलब्ध कराती है और भारत में विमान निर्माण संयंत्र की स्थापना के लिए वैश्विक ओईएम को प्रोत्साहित करती है। सिडनी आधारित उड्डयन थिंक टैंक सेंटर फॉर एशिया एविएशन (सीएपीए) के अनुसार भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ता उड्डयन बाजार है और जापान को पछाड़कर घरेलू यात्री यातायात के मामले में तीसरा सबसे बड़ा घरेलू उड्डयन बाजार बन चुका है। घोषणा पत्र में सुचारू रेल परिवहन और पोत निमार्ण तथा नदी नौवहन के लिए हाई स्पीड रेलवे, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर, नयी प्रौद्योगिकियों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
शुरुआती अवरोध
अक्तूबर 2015 में मोदी और पुतिन के एक संयुक्त वक्तव्य में परमाणु इकाइयों पर जीएफए पर दिसंबर 2016 तक दस्तखत करने का वादा किया गया था। अंतर-मंत्रालयी समूह की मंजूरी मिलने के बाद इसे प्रधानमंत्री कायार्लय में स्वीकृति के लिए भेजा गया था। लेकिन सूत्रों के अनुसार रूस द्वारा दी जाने वाली ऋण सहायता (क्रेडिट प्रोटोकॉल) अवरोध साबित हुई थी।