कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर भारत का कड़ा रुख, नहीं चाहिए
नई दिल्ली। राष्ट्रपति पद संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भारत व अमेरिका के बीच मध्यस्थता करने की इच्छा जताई थी। तब भारत ने इस पर खास प्रतिक्रिया नहीं जताई थी। लेकिन मंगलवार को जब संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि निक्की हेल ने इस बात को दोहराया तो भारत ने इसे बर्दाश्त नहीं किया।
भारत ने इस तरह की किसी भी मंशा का कूटनीतिक लहजे में पूरी तरह से खारिज कर दिया है। कई दशकों बाद भारत और अमेरिका के बीच कश्मीर को लेकर हल्का सा तनाव का माहौल बना है। दरअसल, यूएन में अमेरिकी प्रतिनिधि निक्की हेली ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में यह कहा है कि, अमेरिका भारत व पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव से चिंतित है। अमेरिका इस तनाव को खत्म करना चाहता है। उन्होंने साफ तौर पर भारत व पाकिस्तान के बीच ट्रंप प्रशासन की तरफ से बीच बचाव करने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि भारत व पाक के बीच कुछ हो जाए, हम उस समय का इंतजार नहीं करना चाहते।
हेली से पहले ट्रंप प्रशासन की तरफ से पहले भी इस तरह के संकेत आये हैं। इसको पाकिस्तान सरकार और वहां की मीडिया ने खूब प्रचारित किया है कि ट्रंप प्रशासन भारत व पाकिस्तान को एक ही चश्मे से देखने की कोशिश कर रहा है। हेली के बयान आने के कुछ ही घंटे बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने बताया कि, ”भारत का पाकिस्तान से जुड़े हर मुद्दे पर साफ साफ रवैया है कि यह क्षेत्र हिंसा और आतंक से अभी तक मुक्त नहीं हो पाया है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संगठनों से उम्मीद करते हैं कि वे पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद को दिए जा रहे बढ़ावे पर लगाम लगाने की कोशिश करेंगे क्योंकि यह हमारे क्षेत्र में स्थायित्व को लेकर सबसे बड़ा खतरा बन गया है।”
विदेश मंत्रालय का यह बयान बताता है कि भारत कश्मीर में मध्यस्थता के मुद्दे पर अभी से ही अपने पत्ते खुले रखना चाहता है। जानकारों की मानें तो अमेरिका कम से कम पिछले दो दशकों के दौरान कश्मीर पर मध्यस्थता करने की न तो कोशिश की है और न ही कोई बयान दिया है। इसलिए भारत अभी से स्थिति साफ रखना चाहता है।उधर, देश के तमाम कूटनीतिक जानकारों ने भी अमेरिका की तरफ से दिए गए इस बयान को काफी गंभीर माना है।
अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर का कहना है कि अमेरिका पहले भी भारत व पाक के बीच तनाव बढ़ने पर चिंता जताता रहा है लेकिन यह पहला मौका है जब उसने बीच बचाव करने की मंशा जताई है। भारत को अपनी स्थिति साफ कर देनी चाहिए कि कश्मीर पर उसे तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं चाहिए। अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत नरेश चंद्रा भी यही मानते हैं कि अमेरिका में भारत व पाक के बीच-बचाव का पक्ष लेने वाला एक लॉबी है जो इस तरह का संकेत देते रहता है लेकिन भारत को अपना पक्ष पूरी मजबूती से रखनी चाहिए।
जानकारों की मानें तो ट्रंप प्रशासन जिस तरीके से काम कर रहा है उससे लगता है कि भारत उनके लिए अभी प्राथमिकता में नहीं है। एच-1बी वीजा मुद्दे को जिस तरह से विरोधाभासी बयान आने से भी इस बात का पता चलता है। साथ ही वहां रह रहे भारतीयों पर नस्लीय हमले से जुड़ी घटनाओं के बढ़ने से भी कूटनीतिक क्षेत्र में एक अनदेखा सा तनाव है। पिछले महीने विदेश सचिव एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अमेरिका गये थे।