विमान में लैपटॉप-कैमरा लाने पर अमेरिका-ब्रिटेन में बैन
वॉशिंगटन: आतंकवाद से लड़ाई को लेकर अमेरिका की ट्रंप सरकार ने नया फरमान जारी किया है. अमेरिका ने कुछ मुस्लिम देशों से उड़ान भरने वाले विमानों के यात्रियों पर केबिन बैगेज में बड़े इलेक्ट्रॉनिक उरकरण के साथ यात्रा पर रोक लगा दी है.
अमेरिका के साथ ब्रिटेन ने भी ऐसा फरमान जारी किया है. हालांकि अभी इस फैसले का भारत के यात्रियों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है. डॉनल्ड ट्रंप मुस्लिम देशों के लोगों की अमेरिका में एंट्री रोकने पर कामयाब नहीं हुए तो उन्होंने नया फरमान जारी कर दिया.
नए फरमान के मुताबिक, आठ मुस्लिम देशों के 10 एयरपोर्ट से कोई यात्री बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लेकर अमेरिका नहीं आ सकते. इन उपकरणों में लैपटॉप, टैबलेट, कैमरा, किंडल, और आईपैड शामिल हैं. अमेरिका ने जिन देशों के एयरपोर्ट से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के साथ यात्रा करने पर रोक लगाई है उनमें मिस्र का कायरो एयरपोर्ट, यूएई के दुबई और अबू धाबी एयरपोर्ट, तुर्की का इस्तांबुल एयरपोर्ट, कतर का दोहा, जॉर्डन का अम्मान, कुवैत एयरपोर्ट, मोरक्को का कैसाब्लांका एयरपोर्ट, सऊदी अरब का जेद्दा और रियाद एयरपोर्ट शामिल हैं.
अमेरिका के फैसले के तुरंत बाद ही ब्रिटेन ने भी ऐसा फरमान जारी कर दिया. ब्रिटेन ने छह मुस्लिम देशों से यात्रा करने वाले यात्रियों पर ये रोक लगाई है. ये देश तुर्की, लेबनान, जॉर्डन, मिस्र, ट्यूनिशिया और सऊदी अरब हैं.
अमेरिका का कहना है कि आतंकवादी विमानों को निशाना बनाने के लिए नए तरीकों को आज़माने की कोशिश में लगे हुए थे. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक सामान में बम को छुपाया जा सकता है. अमेरिका ने संबंधित एयरलाइंस को फैसला लागू करने के लिए 96 घंटे का समय दिया है. ब्रिटेन के अधिकारियों का कहना है कि इस फैसले से लोगों को दिक्कत हो सकती है लेकिन हमारे लिए ब्रिटेन के नागिरकों की सुरक्षा सबसे ऊपर है. अमेरिका और ब्रिटेन के बाद कनाडा भी ऐसे फैसले पर विचार कर रहा है.
ट्रंप ने मुस्लिमों की अमेरिका में एंट्री बैन करने की बात चुनावी सभाओं में की थी. कोर्ट ने ट्रंप के मुस्लिमों की अमेरिका में एंट्री पर रोक के फैसले पर रोक लगा दी है. इतना ही नहीं कोर्ट ने ट्रंप के एंट्री पर रोक के नए आदेश पर भी रोक लगा दी है. ट्रंप ने सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका में आने पर बैन लगाया था. दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमान इंडोनेशिया में रहते हैं वहीं इस लिस्ट में भारत दूसरे नंबर पर है.