लाभ कमाना गलत नहीं…. हाई कोर्ट बोला, पर रामदेव के खिलाफ याचिका खारिज नहीं कर सकते
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी के बीच कथित तौर पर एलोपैथी के बारे में गलत सूचना फैलाने के लिए योग गुरु रामदेव के खिलाफ याचिका सीधे तौर पर खारिज नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि कई डॉक्टर संगठनों द्वारा दायर याचिका प्रथम दृष्टया विचारणीय है और इसे प्रारम्भिक चरण में ही खारिज नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एकल पीठ ने कहा कि वर्तमान चरण में, केवल यह देखने की जरूरत है कि क्या वाद में लगाए गए आरोप विचार करने योग्य हैं या नहीं। न्यायाधीश ने कहा, ‘आरोप सही हो सकते हैं या गलत। वह कह सकते हैं कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा… इस पर गौर करने की जरूरत है।’
अदालत ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान मुकदमे पर विचार किए बिना ही प्रारम्भिक चरण में इसे नहीं फेंका जा सकता है।’ इससे पहले, अदालत ने इस मामले में रामदेव को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था। अदालत इस मामले में अब 27 अक्टूबर को आगे सुनवाई करेगी ताकि रामदेव के वकील अपनी दलीलें पेश कर सकें।
जानें क्या है मामला
ऋषिकेश, पटना और भुवनेश्वर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के साथ-साथ चंडीगढ़ पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, पंजाब के रेजिडेंट डॉक्टर्स संघ; लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और तेलंगाना जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इस साल की शुरुआत में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
आरोप, रामदेव ने एलोपैथ पर लोगों को किया गुमराह
उन्होंने आरोप लगाया कि रामदेव जनता को गुमराह कर रहे थे और गलत तरीके से यह पेश कर रहे थे कि एलोपैथी कोविड-19 से संक्रमित कई लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार थी। उन्होंने कथित तौर कहा था कि एलोपैथिक डॉक्टर मरीजों की मौत का कारण बन रहे थे।
इन संगठनों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने कहा कि एक महामारी के बीच, योग गुरु ने कोरोनिल से कोविड-19 के इलाज के निराधार दावे किए थे, जबकि उसे केवल ‘प्रतिरोधक क्षमता’ बढ़ाने वाली दवा के रूप में लाइसेंस दिया गया था। उन्होंने दावा किया कि रामदेव के बयान यथार्थ पर आधारित नहीं थे, बल्कि ये मार्केटिंग और व्यावसायिक उपयोग के नजरिये से दिए गए थे।
कोर्ट ने कहा, लाभ कमाने का सबको अधिकार
हालांकि न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘प्रत्येक व्यक्ति को वाणिज्यिक लाभ का अधिकार है। लाभ वास्तव में कोई आधार नहीं है। आपको (रामदेव के बयान को) सार्वजनिक तौर पर विनाशकारी साबित करना होगा। लाभ कमाना कोई सार्वजनिक तौर पर विनाशकारी या उपद्रवकारी कारण नहीं है।’
अधिवक्ता हर्षवर्धन कोटला के माध्यम से दायर अपनी याचिका में, चिकित्सक संघों ने दलील दी है कि योग गुरु अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वह न केवल एलोपैथिक उपचार, बल्कि कोविड-19 रोधी टीके के बारे में भी आम जनता के मन में संदेह पैदा कर रहे थे। याचिका में आरोप लगाया गया है कि गलत सूचना फैलाना कुछ और नहीं, बल्कि रामदेव की अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए एक विज्ञापन और विपणन रणनीति थी। याचिका में अन्य प्रतिवादियों में आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद शामिल हैं।
अदालत ने एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ कथित बयानों और पतंजलि के कोरोनिल किट के दावों के संबंध में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर गत तीन जून को रामदेव को समन जारी किया था।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स