जैसे को तैसा! बॉर्डर पर चीन के गांव बसाने की चाल देख भारत ने भी कर लिया इंतजाम
चीन ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास करीब तीन साल पहले से ही गांव बनाने शुरू कर दिए हैं। एलएसी के दूसरी तरफ चीन अब तक इस तरह के करीब 600 से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर बना चुका है जिसे बॉर्डर डिफेंस विलेज कहते हैं। इनमें से करीब 400 बॉर्डर डिफेंस विलेज ईस्टर्न सेक्टर में हैं। चीन के बॉर्डर डिफेंस विलेज के जवाब में अब भारत ने भी एलएसी के गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की प्रक्रिया तेज की है। अरुणाचल प्रदेश में ही एलएसी के पास तीन मॉडल विलेज बनाए जा रहे हैं।
अरुणाचल प्रदेश सरकार और इंडियन आर्मी मिलकर ये मॉडल विलेज बनाने का काम कर रही है। एलएसी के पास तीन गांवों की पहचान की गई है जिन्हें मॉडल विलेज बनाया जाएगा। यह पायलट प्रोजेक्ट होगा और फिर बाद में इसका विस्तार किया जाएगा। चीन ने पिछले हफ्ते नया भूमि सीमा कानून पास किया है जो अगले साल 1 जनवरी से लागू होगा। इस भूमि सीमा कानून के तहत चीन बॉर्डर वाले इलाकों में अपने आम नागरिकों को बसाने की तैयारी कर रहा है।
चीन की ओर से बनाए गए बॉर्डर डिफेंस विलेज
चीन ने भले ही नया भूमि सीमा कानून अब बनाया हो लेकिन चीन ने एलएसी पर कई बॉर्डर डिफेंस विलेज पहले ही बना लिए हैं। यह विलेज चीन की आर्मी पीएलए की निगरानी में हैं। ये विलेज बड़े बड़े कॉम्प्लेक्स हैं इनमें सभी सुविधाएं हैं। भारतीय सेना के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि एलएसी के पास चीन का यह मॉर्डन विलेज विजुअल रेंज में हैं। यह दो-तीन साल पहले से बन रहे हैं लेकिन अभी तक ये खाली हैं।
कभी कभी कोई यहां दिखाई देता है। इसलिए अभी इनका असल मकसद समझ नहीं आ रहा। भारतीय सेना के ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने कहा कि चीन के ये बॉर्डर विलेज हमारे लिए यह चिंता है कि वह इसका किस तरह दोहरा इस्तेमाल (सिविल और मिलिट्री) कर सकते हैं। यह हमारे नोटिस में है और ऑपरेशनल प्लानिंग के वक्त इनका भी ख्याल रखा जाता है।
आबादी वाले गांव 1 किलोमीटर के भीतर
अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर कई विवाद के पॉइंट हैं, जहां भारत और चीन दोनों अपना दावा करते हैं। एलएसी पर दोनों देशों के सैनिक कहीं पर 100-200 मीटर की दूरी पर तैनात हैं तो कहीं पर यह दूरी 3 किलोमीटर तक है। चीन ने भले ही बॉर्डर डिफेंस विलेज का स्ट्रक्चर तैयार कर लिया है लेकिन अभी इसमें आबादी नहीं है। एलएसी से चीन की आबादी वाले गांव करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर हैं। भारत में एलएसी से आबादी वाले गांवों की दूरी कहीं ज्यादा है तो कहीं 1 किलोमीटर के भीतर ही आबादी वाले गांव हैं।
सेना सूत्रों के मुताबिक चीन के बॉर्डर डिफेंस विलेज (जो अभी खाली हैं) ईस्टर्न सेक्टर में ज्यादा बने हैं। साथ ही वेस्टर्न सेक्टर में भी एलएसी के पास इस तरह के बॉर्डर डिफेंस विलेज बनाए गए हैं। कभी कभी यहां सफाई होती दिखती है। इनमें वॉलीबॉल कोर्ट भी बनाए गए हैं साथ ही इनके आस पास होटल भी बनाए जा रहे हैं। यह भी एक चिंता है कि पीएलए इनका इस्तेमाल सिविल आबादी के बीच बीच में अपने सैनिकों को रखने के लिए भी कर सकती है। इस तरह का एक मॉडल पहले से हैं।
फायरिंग रेंज में बसा है गांव
अरुणाचल प्रदेश के किबुतू में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के दूसरी तरफ चीनी सेना का टाटू कैंप है। यह इंटीग्रेटेड है जिसमें सिविल आबादी के साथ ही मिलिट्री स्ट्रक्चर भी हैं। फौज की कंपनी के रहने लायक जगह है और फायरिंग रेंज भी है। भारतीय एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक चीन एलएसी के पास इस तरह के मॉर्डन विलेज को अपनी फौज के लिए भी इस्तेमाल कर सकता है।
हालांकि युद्ध की स्थिति में यह आसान टारगेट हो सकते हैं और यह विजुवल रेंज में (यानी इतनी दूर जहां हम अपनी तरफ से उन पर नजर रख सकते हैं) हैं तो मिलिट्री परपज से इनका इस्तेमाल होगा या नहीं इस पर हम नजर रखें हुए हैं। चीन इन विलेज की कनेक्टविटी भी अच्छी कर रहा है और इन्हें फोर लेन रोड से जोड़ा जा रहा है। इनके आस पास ऑबजर्वेशन टावर भी नोटिस किए गए हैं।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स