न्यूजीलैंड: भारतीय मूल के सांसद डॉ. गौरव शर्मा ने संस्कृत में शपथ लेकर रचा इतिहास

न्यूजीलैंड: भारतीय मूल के सांसद डॉ. गौरव शर्मा ने संस्कृत में शपथ लेकर रचा इतिहास
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न्यूजीलैंड में हुए चुनावों में प्रधानमंत्री जसिंडा आर्डर्न की पार्टी ने भारी बहुमत हासिल करके सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए थे। वहीं, अब भारतीय मूल के डॉ. गौरव शर्मा ने देश की संसद की सदस्यता की शपथ ली और इस दौरान इतिहास रच दिया। हमीरपुर के डॉक्टर शर्मा ने संस्कृत में शपथ ली जिसके बाद से वह चर्चा में हैं। वह दुनिया के दूसरे ऐसे नेता हैं जिन्होंने विदेशी धरती पर संस्कृत में शपथ ली।

Gaurav Sharma: न्यूजीलैंड के भारतीय मूल के सांसद हमीरपुर के गौरव शर्मा ने संस्कृत में शपथ लेकर सबको हैरान कर दिया।

न्यूजीलैंड: भारतीय मूल के सांसद डॉ. गौरव शर्मा ने संस्कृत में शपथ लेकर रचा इतिहास

न्यूजीलैंड में हुए चुनावों में प्रधानमंत्री जसिंडा आर्डर्न की पार्टी ने भारी बहुमत हासिल करके सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए थे। वहीं, अब भारतीय मूल के डॉ. गौरव शर्मा ने देश की संसद की सदस्यता की शपथ ली और इस दौरान इतिहास रच दिया। हमीरपुर के डॉक्टर शर्मा ने संस्कृत में शपथ ली जिसके बाद से वह चर्चा में हैं। वह दुनिया के दूसरे ऐसे नेता हैं जिन्होंने विदेशी धरती पर संस्कृत में शपथ ली।

हासिल की जीत
हासिल की जीत

लेबर पार्टी के शर्मा ने नैशनल पार्टी के टिम मसिंडो को 4,386 वोटों से हराया था। इससे पहले वह 2017 में भी चुनावों में उतरे थे। वह कहते हैं कि वह लोगों का प्रतिनिधित्व करने पर खुद को भाग्यशाली समझते हैं। राजनीति में दिलचस्पी पैदा होने के बाद शर्मा ने 2014 में वॉलंटिअर के तौर पर पार्टी जॉइन की थी।

नस्लभेद का मुद्दा जरूरी
नस्लभेद का मुद्दा जरूरी

हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए उन्होंने कहा था भारतीय समुदाय के लोग राजनीति में काफी दिलचस्पी रखते हैं। उनके चुनाव पर मिली प्रतिक्रिया को लेकर उन्होंने कहा कि कुछ लोग नाराज होते हैं लेकिन उन्हें काफी समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि नस्लभेद हर जगह है और इस पर रोशनी डालना जरूरी है कि लोग इसे झेलना नहीं चाहते हैं।

परिवार आया न्यूजीलैंड
परिवार आया न्यूजीलैंड

शर्मा के पिता गिरधर शर्मा राज्य बिजली विभाग में कार्यकारी अभियंता और मां पूर्णिमा शर्मा गृहणी हैं। उन्होंने हमीरपुर में चौथी क्लास तक पढ़ाई की और सातवीं क्लास तक धर्मशाला में। इसके बाद उनके पिता परिवार के साथ न्यूजीलैंड में जाकर बस गए। मां से प्रेरणा लेकर वह मेडिकल लाइन में गए और फिर छात्र राजनीति में उतरे।

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