भारत, चीन जापान… ट्रंप प्रशासन से कितनी अलग होगी जो बाइडेन की विदेश नीति?
जो बाइडेन के अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनने से एशियाई देशों में अनिश्चितता का माहौल है। भारत, जापान और चीन समेत इस क्षेत्र के अधिकतर देश बाइडेन प्रशासन से व्यापार से लेकर जलवायु परिवर्तन तक के मुद्दों पर राहत देने की उम्मीद कर रहे हैं। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में न केवल एकतरफा आर्थिक हितों को लेकर एशियाई देशों से संबंध बिगाड़े हैं, बल्कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्पादन को लेकर बार-बार भारत और चीन के ऊपर आरोप लगाए हैं। ऐसे में बाइडेन प्रशासन से एशियाई देश बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं। जानिए किस देश को कैसी है आशा…
जो बाइडेन के अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनने से एशियाई देशों में अनिश्चितता का माहौल है। भारत, जापान और चीन समेत इस क्षेत्र के अधिकतर देश बाइडेन प्रशासन से व्यापार से लेकर जलवायु परिवर्तन तक के मुद्दों पर राहत देने की उम्मीद कर रहे हैं। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में न केवल एकतरफा आर्थिक हितों को लेकर एशियाई देशों से संबंध बिगाड़े हैं, बल्कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्पादन को लेकर बार-बार भारत और चीन के ऊपर आरोप लगाए हैं। ऐसे में बाइडेन प्रशासन से एशियाई देश बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं। जानिए किस देश को कैसी है आशा…
चीन
जो बाइडेन अमेरिका की सत्ता संभालते ही सबसे पहले चीन की तरफ ही देखेंगे। आर्थिक, सैनिक और राजनीतिक रूप से चीन और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है। चीन के विस्तारवादी प्रयासों के खिलाफ अमेरिका ने इंडो पैसिफिक क्षेत्र का बड़े पैमाने पर सैन्यीकरण किया है। ऐसे में बाइडेन प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती चीन को लेकर ही होगी। ताइपे में तमांग विश्वविद्यालय के स्ट्रैटजिक स्टडी के प्रोफेसर और ताइवान के एक पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी एलेकजेंडर हुआन ने कहा कि मुझे लगता है कि बाइडेन चीन के साथ ओबामा के समय से भी अधिक उदारवादी दृष्टिकोण अपनाएंगे।
उत्तर कोरिया
जो बाइडेन उत्तर कोरिया के साथ अमेरिकी संबंधों के शुरू से खिलाफ रहे हैं। अपने प्रचार अभियान के दौरान भी उन्होंने किम जोंग उन को कसाई और ठग कहा था। बाइडेन ने ट्रंप और किम जोंग की तीन समिट्स को लेकर भी तीखी बयानबाजी की थी। उन्होंने कहा था कि ट्रंप के इन बैठकों से भी उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों के निरस्त्रीकरण में प्रगति नहीं हुई है। माना जा रहा है कि जो बाइडेन अपने कार्यकाल के दौरान उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों का ऐलान कर सकते हैं। वहीं, दक्षिण कोरिया में भी बाइडेन ट्रंप के विपरीत बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती कर सकते हैं।
भारत
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन का सबसे कम असर भारत में देखने को मिल सकता है। क्योंकि, जो बाइडेन के ऊपर भी चीन को अलग-थलग करने के लिए भारत को साथ में लेकर चलने की मजबूरी होगी। हालांकि, बाइडेन के कार्यकाल में भारत के मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के रिकॉर्ड पर बहुत बारीकी से नजर रखी जा सकती है। वॉशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर में एशिया कार्यक्रम के उप निदेशक माइकल कुगेलमैन के अनुसार, बाइडेन के कार्यकाल में भारत के अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों को लेकर तनातनी देखने को मिल सकती है।
जापान
जापान को लेकर जो बाइडेन की राय स्पष्ट है। उनका मानना है कि अमेरिका किसी दूसरे देश के देखभाल का जिम्मा नहीं उठा सकता है। इस कारण अमेरिका की प्राथमिकता जापान को उसके पैरों पर खड़ा करने की होगी। टोक्यो में इस बात की आशा है कि बाइडेन अपने कार्यकाल के दौरान जापानी कंपनियों को बढ़ावा देंगे। इसके अलावा वह चीनी कंपनियों पर भी कड़ी कार्यवाई करेंगे। टोक्यो के आर्कस रिसर्च के अनुसार, बाइडेन अमेरिका की घरेलू राजनीति से निपटने के लिए शुरुआती कार्यकाल के दौरान जापान को अकेला छोड़ सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड
डोनाल्ड ट्रंप की तुलना में जो बाइडेन के कार्यकाल में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ अमेरिका के संबंध और मजबूत होने की उम्मीद है। ट्रंप की तुलना में जो बाइडेन ऑस्ट्रेलियाई स्टील और एल्यूमीनियम कंपनियों को टैरिफ में छूट देंगे। न्यूजीलैंड को भी अमेरिकी प्रशासन दूध और बीफ की बिक्री पर अधिक छूट दे सकता है। न्यूजीलैंड और अन्य राष्ट्रों को भी उम्मीद है कि बाइडेन चीन के साथ तनाव कम करने में उनकी मदद कर सकते हैं। अमेरिका के साथ रक्षा और खुफिया संबंध बढ़ाने के दौरान न्यूजीलैंड दो प्रमुख राष्ट्रों के बीच फंस गया है।