मालदीव में अपना दूतावास खोलेगा अमेरिका: माइक पोम्पियो
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बुधवार को घोषणा की कि अमेरिका मालदीव में एक दूतावास खोलेगा। पोम्पियो ने हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित मालदीव के नेतृत्व के साथ वार्ता की। दोनों देशों ने कुछ सप्ताह पहले एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौता किया था। मालदीव के लिए सेवाएं वर्तमान में श्रीलंका के कोलंबो स्थित अमेरिकी दूतावास से उपलब्ध हैं।
‘मालदीव ने की है बड़ी प्रगति’
पोम्पियो ने ट्वीट किया, ‘मुझे माले में दूतावास खोलने की हमारी योजना की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। 1966 में हमारे राजनयिक संबंध स्थापना के बाद से, हमने देखा है कि मालदीव ने लोकतांत्रिक संस्थानों का समर्थन करने में बड़ी प्रगति की है और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर उनके साथ साझेदारी करने पर हमें गर्व है।’
अमेरिका के विदेश विभाग ने पहले कहा था कि पोम्पिओ माले की यात्रा करेंगे और ‘हमारे करीबी द्विपक्षीय संबंधों की पुन: पुष्टि करेंगे और क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा से लेकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तक के मुद्दों पर हमारी साझेदारी को आगे बढ़ाएंगे।’ पोम्पियो भारत और श्रीलंका से यहां पहुंचे थे। उन्होंने देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत के बाद कहा कि मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोलिह के साथ ‘शानदार’ मुलाकात की।
‘ऐतिहासिक घोषणा’
पोम्पियो ने राष्ट्रपति सोलिह से मुलाकात के बाद एक ट्वीट में कहा, ‘माले में राष्ट्रपति सोलिह के साथ शानदार बैठक की। मैंने मालदीव में अमेरिकी दूतावास खोलने की हमारी योजना के बारे में एक ऐतिहासिक घोषणा की। हम मालदीव के लोगों के साथ अपनी दोस्ती को बहुत अधिक महत्व देते हैं और हमारी साझेदारी को अगले स्तर तक ले जाने के लिए तत्पर हैं।’
इससे पहले यहां पहुंचने पर पोम्पियो ने लिखा कि वह मालदीव की यात्रा करने को लेकर ‘रोमांचित’ थे। उन्होंने कहा, ‘लगभग तीन दशकों में मालदीव का दौरा करने वाला पहला विदेश मंत्री होने के कारण रोमांचित हूं। मैं अमेरिका-मालदीव के संबंधों को मजबूत करने और स्वतंत्र, खुले एवं नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे आपसी हितों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हूं।’
मालदीव में वर्तमान में ब्रिटेन, भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, सऊदी अरब, जापान और चीन के निवासी राजनयिक मिशन हैं। हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी के बीच अमेरिका और मालदीव ने सितंबर में एक रक्षा सहयोग समझौता किया था।