अमेरिका: ऑक्सफर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन के ट्रायल फिर से होंगे शुरू

अमेरिका: ऑक्सफर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन के ट्रायल फिर से होंगे शुरू
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वॉशिंगटन
तीसरे चरण के ट्रायल में एक वॉलंटिअर के बीमार होने के बाद पूरी दुनिया में रोके गए ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और AstraZeneca की वैक्सीन के ट्रायल अब अमेरिका में फिर से शुरू हो सकेंगे। देश के रेग्युलेटर्स ने बुधवार को इस बारे में अपना फैसला सुनाया है। अमेरिका को छोड़कर बाकी सभी देश पहले ही वैक्सीन के ट्रायल फिर से शुरू कर चुके हैं। कुछ दिन पहले ब्राजील में एक वॉलंटिअर की मौत के बाद इस बात पर सबकी नजरें टिकी थीं कि अमेरिका ट्रायल फिर से शुरू करने पर क्या फैसला करेगा। हालांकि, ब्राजील में जिस वॉलंटिअर की मौत हुई थी, उसे कोरोना की वैक्सीन नहीं दी गई थी।

वैक्सीन की वजह से नहीं हुई थी बीमारी
सितंबर में वैक्सीन के ट्रायल रोके जाने के बाद अमेरिका ने स्वतंत्र जांच कराई थी। दरअसल, वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान एक वॉलंटियर में ट्रांसवर्स मायलाइटिस की कंडीशन पैदा हो गई थी। इसमें रीढ़ की हड्डी में सूजन हो जाती है जो इन्फेक्शन की वजह से हो सकती है। अमेरिका में की गई जांच में पाया गया कि वैक्सीन की वजह से वह न्यूरोलॉजिकल परेशानी मरीज को नहीं हुई थी जिसके चलते उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

हालांकि, वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक FDA का कहना है कि वैक्सीन और इस बीमारी के बीच लिंक को नकारा भी नहीं जा सकता है। अब जब ट्रायल शुरू होंगे तो कंपनी को सभी वॉलंटिअर्स को रिएक्शन्स के बारे में जानकारी देनी होगी।

जॉनसन ऐंड जॉनस की वैक्सीन के ट्रायल भी रुके
वहीं, देश के टॉप एक्सपर्ट्स ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही जॉनसन ऐंड जॉनसन के ट्रायल को भी दोबारा शुरू किया जा सके। कंपनी की को भी तीसरे चरण के ट्रायल को रोकना पड़ा था। इस ट्रायल में शामिल एक वॉलंटिअर में कुछ ‘अनजान बीमारी’ देखे जाने के बाद ट्रायल रोकने का फैसला किया गया। इस रुकावट की जांच करने के लिए एक स्वतंत्र मरीज सुरक्षा समिति बनाई गई है। इसके साथ ही कंपनी स्टडी में 60 हजार लोगों को शामिल करने के लिए ऑनलाइन एनरोलमेंट भी बंद कर दिया है।

वैक्सीन से नहीं खत्म होगा कोरोना वायरस?
दूसरी ओर
के संक्रमण को लेकर ब्रिटेन के शीर्ष वैज्ञानिक सलाहकार के दावे से लोगों की चिंता बढ़ गई है। महामारी के लिए गठित ब्रिटिश सरकार की सलाहकार समिति के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा कि कोरोना वायरस को कभी भी खत्म नहीं किया जा सकेगा। यह लोगों के बीच हमेशा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि हालांकि, एक वैक्सीन वर्तमान स्थिति को थोड़ा बेहतर बनाने में मदद जरूर करेगी।

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