कोरोना वैक्सीन पर अच्छी खबर, इस्तेमाल को मंजूरी के लिए नवंबर में आवेदन करेगी Pfizer
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि देश में चुनाव से पहले कोरोना वायरस की वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी। हालांकि, जिस कंपनी पर ट्रंप ने भरोसा दिखाया था उसने साफ किया है कि वह नवंबर के दूसरे हफ्ते के बाद ही वैक्सीन के इमर्जेंसी में इस्तेमाल के लिए आवेदन कर सकेगी, चुनाव से पहले नहीं। इससे भले ही ट्रंप के दावे को झटका लगा हो, वैक्सीन का इंतजार कर रहे लोगों के लिए यह राहत देने वाली खबर है।
ट्रंप ने किया था दावा
ऐसा पहली बार है कि किसी कंपनी ने समयबद्ध तरीके से वैक्सीन की उपलब्धि का दावा किया है जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दावा करते आए हैं कि कंपनी सबसे पहले और 3 नवंबर को होने वाले चुनावों तक वैक्सीन तैयार कर लेगी। उन्होंने FDA (फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन) से तेजी से काम करने के लिए कहा था। इसके बाद इस बात को लेकर चिंता भी की जाने लगी थी कि कहीं राजनीतिक दबाव में विज्ञान से समझौता न किया जाए।
नवंबर के आखिरी हफ्ते में वैक्सीन मुमकिन
कंपनी का कहना है कि वह अपनी वैक्सीन के आखिरी चरण के डेटा का इंतजार कर रही है जिससे वैक्सीन के असर, सुरक्षा और योग्यता को लेकर पुष्टिकर सके और उत्पादन बढ़ा सके। नतीजे सकारात्मक निकलने पर ही Pfizer जर्मन पार्टनर BioNTech SE के साथ नवंबर के तीसरे हफ्ते में आवेदन करेगी। कंपनी ने अभी यह नहीं बताया है कि दूसरे देशों में मंजूरी के लिए आवेदन दिया जाएगा या नहीं।
कैसे काम करती है?
यह mRNA आधारित वैक्सीन है। इसमें वायरस का जेनेटिक मटीरियल इंसान के सेल्स में इंजेक्ट किया जाता है। ये मटीरियल ऐसा प्रोटीन बनाता है जो कोरोना वायरस में होता है और इम्यून सिस्टम उसे पहचानता है।BioNTech पहले इस तकनीक से कैंसर का इलाज खोजने की कोशिश कर चुकी है। पहले के चरण के शुरुआती ट्रायल के डेटा में वैक्सीन के इस्तेमाल से ऐंटीबॉडी और T-cell रिस्पॉन्स पैदा होते देखा गया।
कई देशों में ट्रायल
अगर यह वैक्सीन सफल होती है तो दिसंबर 2020 तक इसकी 10 करोड़ खुराकें डिलिवर करने के लिए अमेरिका की सरकार के साथ 2 अरब डॉलर की डील की गई है। अभी अमेरिका के अलावा ब्राजील, अर्जंटीना और जर्मनी में 30 हजार लोगों पर इसके दूसरे और तीसरे चरण के संयुक्त ट्रायल होने हैं। कंपनी की कोशिश है कि अगले साल के अंत तक 1.3 अरब खुराकें सप्लाई की जा सकें।