FATF की ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए 'दोस्तों' को साध रहा पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया और सऊदी से की बात
ने फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) की ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए अभी से अपने दोस्तों को साधना शुरू कर दिया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एफएटीएफ की क्षेत्रीय इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप (Asia Pacific Group, APG) के हालिया फैसले के बाद से तुर्की, मलेशिया और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों से बातचीत की है। हालांकि, किसी भी देश ने खुलकर इस बात को स्वीकार नहीं किया है कि उनकी बातचीत एफएटीएफ की आगामी बैठक को लेकर की गई है।
21 से 23 अक्टूबर के बीच होगी बैठक
21 अक्टूबर से 23 अक्टूबर के बीच पेरिस में FATF की वर्चुअल रिव्यू मीटिंग होनी है। इस दौरान पाकिस्तान को लेकर भी चर्चा हो सकती है। माना जा रहा है कि सदस्य देशों में अगर सहमति बन जाती है तो उसे ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है। हालांकि, चीन, तुर्की और मलेशिया अपने सदाबहार दोस्त को बचाने के लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे। ऐसे में अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में शामिल नहीं भी होता है तब भी उसके ग्रे लिस्ट में बने रहने में कोई शक नहीं है।
पाकिस्तान ने 40 में से 2 सिफारिशों पर किया काम
तीन दिन पहले हुई एशिया पैसिफिक ग्रुप की बैठक में कहा गया था कि पाकिस्तान ने FATF की ओर से की गई 40 सिफारिशों में से केवल दो पर प्रगति की है। इस 12 पन्ने की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के सिफारिशों के पूरा करने में एक साल में कोई बदलाव नहीं आया है। इसको देखते हुए एपीजी ने घोषणा की है कि पाकिस्तान ‘Enhanced Follow-Up’लिस्ट में बना रहेगा। साथ ही पाकिस्तान को 40 सुझावों को लागू करने की दिशा में किए गए प्रयासों की रिपोर्ट देनी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने कुछ सुझावों को लागू करने की दिशा में कुछ प्रगति की है।
पाक ने निगरानी सूची से हजारों आतंकवादियों को निकाला
पाकिस्तान ने पिछले 18 महीने में निगरानी सूची से हजारों आतंकवादियों के नाम को हटा दिया था। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की नैशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी इस लिस्ट को देखती है। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों के साथ वित्तीय संस्थानों के बिजनस न करने में मदद करना है। इस लिस्ट में वर्ष 2018 में कुल 7600 नाम थे लेकिन पिछले 18 महीने में इसकी संख्या को घटाकर अब 3800 कर दिया गया है। यही नहीं इस साल मार्च महीने की शुरुआत से लेकर अब तक 1800 नामों को लिस्ट से हटाया गया है।
ईरान और उत्तर कोरिया पहले से हैं ब्लैकलिस्टेड
एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान को उसी श्रेणी में रखा जाएगा जिसमें ईरान और उत्तर कोरिया को रखा गया है और इसका मतलब यह होगा कि वह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से कोई ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगा। इससे अन्य देशों के साथ वित्तीय डील करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
2018 में डाला गया था ग्रे सूची में
पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है।
क्या है एफएटीएफ
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है। इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।
क्या करता है एफएटीएफ
एफएटीएफ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को दुरुपयोग से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कमजोरियों की पहचान करने के लिए काम करता है। अक्टूबर 2001 में एफएटीएफ ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को शामिल किया। जबकि अप्रैल 2012 में इनकी कार्यसूची में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के प्रयासों को जोड़ा गया।एफएटीएफ अपने द्वारा दी गई सिफारिशों को लागू करने में देशों की प्रगति की निगरानी करता है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की तकनीकों को खत्म करने की उपायों की समीक्षा करता है। इसके साथ ही एफएटीएफ विश्व स्तर पर अपनी सिफारिशों को अपनाने और लागू करने को बढ़ावा देता है।