मोदी की आलोचना, लद्दाख पर भारत से उलट राय, चीन के 'जासूस' भारतीय पत्रकार ने ग्लोबल टाइम्स में क्या लिखा?
पिछले दिनों फ्रीलांस
को गिरफ्तार किए जाने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। उन्हें ऑफिशल सीक्रेट ऐक्ट (
) के तहत गिरफ्तार किया गया था। के एक लेख को भी चर्चा हो रही है जो उन्होंने चीन के प्रॉपगैंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स के लिए लिखा था। खास बात यह है कि ग्लोबल टाइम्स भारतीय या अमेरिकी राजदूत का लेख भी नहीं छापता है लेकिन उसने शर्मा का लेख प्रकाशित किया है।
भारत को भी बताया जिम्मेदार
इस लेख में शर्मा ने भारत और चीन तनाव का जिम्मा दोनों देशों पर डाला है। उन्होंने यहां तक लिखा है कि दोनों देशों को एक-दूसरे की रेडलाइन पार नहीं करनी चाहिए जबकि भारत ने साफ किया है कि उसकी सेना ने चीन की सीमा में कदम नहीं रखा है। इसके उलट चीनी सैनिक ही विवादित क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे हैं। शर्मा ने यह भी कहा है कि पीएम मोदी अंधराष्ट्रवाद के आधार पर राजनीति करते हैं जो उनका सबसे बड़ा हथियार है।
‘भविष्य बनाएं, सेना नहीं’
शर्मा ने अपने लेख में कहा है कि मई से शुरू हुए तनाव के कारण 1962 की जंग के बाद से भारत और चीन ने संबंध सुधारने की जो कोशिश की थी, उसे नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा है, ‘मौजूदा हालात में दोनों में से किसी की जीत नहीं होगी। दोनों का एक उद्देश्य यह होना चाहिए कि लोगों के लिए बेहतर और शांतिपूर्ण भविष्य बनाया जाए, सेनाएं नहीं।’
‘कौन सही, कौन गलत?’
हालांकि, इसके आगे लिखा है, ‘यह मौका इस बात का फैसला करने का नहीं है कि कौन सही है और कौन गलत। सच्चाई यह है कि द्विपक्षीय संबंध खराब हुए हैं, शायद दोनों पक्षों के फैसलों और ऐक्शन से या शायद बाहरी फोर्स या ऐक्टर्स की वजह से।’ उन्होंने सलाह दी है कि समय रहते ठोस और असरदार कदम उठाने चाहिए।’
‘शांतिप्रिय पर कमजोर दिखने का रिस्क’
इसके आगे उन्होंने यह सवाल भी कर दिया है कि ‘बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा?’ उन्होंने सवाल किया, ‘हालात को सामान्य करने के लिए पहला कदम कौन उठाएगा। जो भी पहले शांति की बात करेगा उसे कमजोर के तौर पर देखे जाने का रिस्क भी उठाना पड़ेगा।’ शर्मा ने सलाह दी है कि कूटनीति के आधार पर वह हासिल किया जा सकता है जो राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के आधार पर हासिल नहीं किया जा सका। उनका कहना है कि दोनों देशों के राजनयिकों को पर्दे के पीछे से बात कर हालात का तनाव कम करना चाहिए। उन्होंने कहा है कि इससे पहले दोनों देशों को इसका साफ संकेत देना होगा कि उन्हें जंग नहीं, शांतिपूर्ण समाधान चाहिए।
‘एक-दूसरे की रेडलाइन न करें पार’
शर्मा का कहना है, ‘दोनों पक्षों को एक-दूसरे की संवेदनशीलता और राजनीतिक मजबूरियों को समझना चाहिए जब तक कूटनीतिक का फायदा न मिल जाए। दोनों देशों को एक-दूसरे की रेडलाइन को पार नहीं करना चाहिए।’ शर्मा ने यह भी कहा है, ‘मई 2019 में सिर्फ राष्ट्रवाद के आधार पर पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव जीते थे। मोदी के आलोचक उनके राष्ट्रवाद के ब्रैंड को ‘अंधराष्ट्रवाद’ बताते हैं। मोदी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक बहस को अपने सबसे बड़े हथियार राष्ट्रवाद से बढ़ा सकते हैं।’