क्या है FATF जिससे डरकर पाकिस्तान कर रहा है आतंकियों पर प्रतिबंध का नाटक?
पाकिस्तान ने एक लिस्ट जारी कर देश के 88 आतंकी संगठनों और उनके आकाओं पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर डाला। इस लिस्ट में भारत में आतंकी हमलों के जिम्मेदार हाफिज सऊद, मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम तक का नाम शामिल है। ऐसे में सवाल है कि आखिर फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) से पाकिस्तान को इतना डर क्यों लग रहा है कि उसने ऐसा कदम उठाया है।
कई देश हैं हिस्सा
FATF ग्लोबल मनी लॉन्डरिंग और आतंकी फंडिंग वॉचडॉग है। कई सरकारों के बीच काम करने वाले संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मानक तय कर रखे हैं ताकि अवैध गतिविधियां रोकी जा सकें और समाज को जो नुकसान हो रहा है उससे बचा जा सके। वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए 1989 में FATF का गठन किया गया था। इसके 39 सदस्य हैं। इसमें 37 देश और दो क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं। नीतियां बनाने वाला संगठन सरकारों को राष्ट्रीय कानून और रेग्युलेटरी रिफॉर्म्स लाने के लिए प्रेरित करता है।
क्या काम करता है FATF?
FATF ने मानक बनाए हैं जिनसे यह सुनिश्चित किया जाता है कि संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर सहयोग के साथ प्रतिक्रिया दी जाए। इसकी मदद से अथॉरिटीज अवैध नशीले पदार्थों, देह तस्करी जैसे कारोबार से जुड़े अपराधियों के पैसे को ट्रैक करती हैं। FATF बड़े स्तर पर बर्बादी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों की फंडिंग रोकने के लिए भी काम करता है। FATF मनी लॉन्डरिंग और आतंकी फाइनैंसिंग तकनीकों को रिव्यू करता है और लगातार नए मानक बनाता है जिससे नए खतरों से निपटा जा सके। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि इन मानकों का पालन किया जाए और ऐसे देशों की जिम्मेदारी भी तय करता है जो मानकों का पालन नहीं करते हैं।
पाकिस्तान को मिल चुकी है चेतावनी
पाकिस्तान के खिलाफ जून 2018 से निगरानी बढ़ा दी गई थी और उसे 27 बिंदुओं पर काम करने के लिए कहा गया था। इसके तहत उसे टेरर फंडिंग और मनी लाउंड्रिंग पर ऐक्शन लेना था। हालांकि, अक्टूबर 2019 में हुई बैठक में सिर्फ 5 पॉइंट्स पर काम करने के लिए फटकारा गया। जब जून में इसकी फिर बैठक हुई तो पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने का ही फैसला किया गया।
FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ से क्यों डरा है पाक?
पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था बेहद नाजुक हालत में है। कोरोना वायरस की वजह से उसकी कमर और टूट गई है। उधर, नाराज सऊदी अरब ने अरबों डॉलर का कर्ज भी चुकाने को कह दिया है। ऐसे में अक्टूबर में होने वाली FATF की बैठक में अगर फिर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रख दिया गया तो उसकी इकॉनमी को भयानक नुकसान होगा।
दरअसल, इसकी वजह से इंटरनैशनल मॉनिटरिंग फंड (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा जबकि इस वक्त, खासकर कोरोना वायरस के चलते प्रधानमंत्री इमरान खान पहले ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांग चुके हैं। इससे जाहिर है उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा।