इजरायल के साथ शांति समझौते के लिए सऊदी की शर्त, कहा- अगर फिलीस्तीन के साथ…
और संयुक्त अरब अमीरात के साथ शांति समझौता होने के बाद यह आशा जताई जा रही थी कि जल्द ही पश्चिम एशिया के कुछ और देश ऐसा कर सकते हैं। इस बीच ने इजरायल के साथ सार्वजनिक स्तर पर संबंध स्थापित करने को लेकर एक शर्त सामने रखी है। हालांकि, यह बात अलग है कि सऊदी अरब और इजरायल पर्दे के पीछे आपसी संबंध दिनरात मजबूत कर रहे हैं।
सऊदी ने रखी यह शर्त
सऊदी प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि जब तक इजरायल फिलिस्तीनियों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शांति समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, तब तक उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किए जाएंगे। हाल में ही एक ऐतिहासिक डील करते हुए संयुक्त अरब अमीरात ने न केवल इजरायल को मान्यता प्रदान किया, बल्कि उसके साथ राजनयिक संबंध भी स्थापित कर लिया।
सऊदी और इजरायल भी संबंधों को कर रहे मजबूत
इजरायल और सऊदी के बीच हाल के कुछ साल में द्विपक्षीय संबंध बेहतर हुए हैं। सऊदी अरब और इजरायल दोनों ईरान के परमाणु हथियार बनाने का विरोध करते हैं। इसके अलावा ये दोनों देश यमन, सीरिया, इराक और लेबनान में ईरान की आकांक्षाओं के विस्तार को लेकर भी चिंतित हैं। हिजबुल्लाह को लेकर भी इजरायल और सऊदी एक रुख रखते हैं। माना जा रहा है कि सऊदी और इजरायल खुफिया जानकारी, प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं। वहीं इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख अपने सऊदी समकक्षों और अन्य सऊदी नेताओं के साथ गुप्त रूप से मिलते रहे हैं।
इजरायल और यूएई के बीच लिखा जा रहा नया इतिहास
इजरायल और यूएई के बीच फोन सेवा भी शुरू हो चुकी है। वहीं, इजरायल के राष्ट्रपति रेवेन रिवलिन ने यूएई के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद को अपने देश आने का निमंत्रण दिया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इतिहास रचते हुए यूएई के एक न्यूज चैनल पर लाइव प्रसारण में हिस्सा लिया। इसके अलावा दोनों देश कोरोना वायरस वैक्सीन के विकास पर भी तेजी से काम कर रहे हैं।
ईरान के डर से इजरायल के दोस्त बन रहे खाड़ी देश
खाड़ी देश जैसे यूएई, सऊदी अरब, बहरीन और यमन अपने पड़ोसी देश ईरान से डरे हुए हैं। उन्हें ईरान की बढ़ती ताकत से डर लग रहा है। इसलिए वे इजरायल के साथ दोस्ती कर ईरान की ताकत को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। इधर ईरान भी चीन और तुर्की के साथ मिलकर अपनी सामरिक ताकत को बढ़ा रहा है। माना जा रहा है कि जल्द ही ईरान चीन के सहयोग से खुद का परमाणु बम विकसित कर सकता है।