दुनिया में कहीं भी हर्ड इम्यूनिटी के हालात नहीं, वैक्सीन ही एकमात्र विकल्प: WHO

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कोरोना वायरस महामारी को लेकर दुनियाभर के कई देशों में दावा किया जा रहा है कि वहां संक्रमण के कारण लोगों में हर्ड इम्यूनिटी (सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता) का विकास हो गया है। लेकिन, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसे किसी भी दावे को खारिज करते हुए कहा है कि विश्व अभी कहीं भी कोरोना वायरस के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी उत्पन्न होने जैसी स्थिति में नहीं है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कुछ रिसर्चर्स ने पहले दावा किया था कि ब्रिटेन में लोगों के बीच हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो रही है। पहले ऑक्सफोर्ड की स्टडी में दावा किया गया था कि ब्रिटेन के लोगों में आम सर्दी-जुकाम जैसे मौसमी संक्रमण की वजह से पहले ही सामूहिक तौर पर हर्ड इम्यूनिटी का स्तर इतना है कि वे घातक कोरोना वायरस के फिर से पनपने पर उसका सामना कर सकते हैं।

डब्लूएचओ ने कहा कि हर्ड इम्यूनिटी विशेष तौर पर वैक्सीनेशन के माध्यम से हासिल की जाती है। अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कम से कम 70 प्रतिशत आबादी में घातक वायरस को शिकस्त देने वाली एंटीबॉडीज होनी चाहिए। लेकिन, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आधी आबादी में भी कोरोना वायरस से लड़ने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) हो तो एक रक्षात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकता है।

डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रेयान ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इस सिद्धांत को खारिज करते हुए कहा कि हमें हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने की उम्मीद में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक आबादी के रूप में, अभी हम उस स्थिति के कहीं आसपास भी नहीं हैं जो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है।

उन्होंने आगे कहा कि हर्ड इम्यूनिटी कोई समाधान नहीं है और न ही यह ऐसा कोई समाधान है जिसकी तरफ हमें देखना चाहिए। आज तक हुए अधिकतर अध्ययनों में यही बात सामने आई है कि केवल 10 से 20 प्रतिशत आबादी में ही संबंधित एंटीबॉडीज हैं, जो लोगों को हर्ड इम्यूनिटी पैदा करने में सहायक हो सकते हैं। लेकिन, इतनी कम एंटीबॉडीज की दर से हर्ड इम्यूनिटी को नहीं पाया जा सकता।

डब्ल्यूएचओ महानिदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ब्रूस एलवार्ड ने कहा कि किसी कोरोना वायरस वैक्सीन के साथ व्यापक वैक्सीनेशन का उद्देश्य विश्व की 50 प्रतिशत से काफी अधिक आबादी को इसके दायरे में लाने का होगा।

हर्ड इम्‍यूनिटी किसी मेडिकल प्रक्रिया का नाम नहीं। अगर कोई संक्रामक बीमारी फैली है तो हर्ड इम्‍यूनिटी वो अवस्‍था होती है जब आबादी का एक निश्चित हिस्‍सा उस बीमारी के प्रति इम्‍यून हो जाता है। यानी बाकी आबादी में वायरस नहीं फैलता। आमतौर पर हर्ड इम्‍यूनिटी शब्‍द वैक्‍सीनेशन के संदर्भ में यूज किया जाता है। मगर हर्ड इम्‍यूनिटी तब भी हासिल हो सकती है जबकि पर्याप्‍त संख्‍या में लोग इन्‍फेक्‍ट होने के बाद इम्‍यून हुए हों। कोरोना से हर्ड इम्‍यूनिटी का दरअसल यही मतलब है। इसके मुताबिक, अगर एक निश्चित आबादी इम्‍यून हो जाए तो वो लोग किसी और को इन्‍फेक्‍ट नहीं कर पाएंगे। इससे कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन की चेन टूट जाएगी।

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