एशिया को चीन से खतरा, हमारी मध्य-रेंज मिसाइल होगी जरूरी: US
चीन के परमाणु हथियारों को अमेरिका दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा मान रहा और इससे निपटने के लिए क्या रणनीति बनानी चाहिए, इस पर विचार कर रहा है। यहां तक कि अमेरिका अभी विकसित की जा रहीं मध्य-रेंज की मिसाइलें भी तैनात करने के बारे में सोच रहा है और एशिया में अपने सहयोगियों से इस पर चर्चा करने वाला है। यह जानकारी वॉशिंगटन के टॉप आर्म्स कंट्रोल समझौताकार मार्शल बिलिंगस्ली ने Nikkei Asian Review को दी है।
अमेरिका कर रहा है मिसाइल पर काम
स्पेशल प्रेजिडेंशल एन्वॉय मार्शल ने बताया है कि वॉशिंगटन एशिया में अपने दोस्तों और सहयोगियों से चीन में परमाणु शक्ति बढ़ने से न सिर्फ अमेरिका बल्कि दूसरे देशों के लिए पैदा हुए खतरे और अपने अलायंस की रक्षा करने के लिए जिस क्षमता की जरूरत है, उस पर बात करना चाहता है। खासतौर पर मार्शल ने मध्य रेंज, गैर-न्यूक्लियर, जमीन से लॉन्च होने वाली क्रूज मिसाइल की ओर इशारा किया जिस पर अमेरिका में काम चल रहा है।
एशिया में तैनात करना होगा जरूरी
इस मिसाइल पर पिछले साल अगस्त में तब काम शुरू हो गया था जब अमेरिका ने रूस के साथ इंडरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्स (INF) ट्रीटी से अपने कदम वापस खींच लिए थे। इस समझौते से ऐसे हथियारों पर प्रतिबंध लग रहा था। मार्शल ने कहा कि यह हथियार उसी सुरक्षा क्षमता का है जैसा जापान जैसे देशों को भविष्य में चाहिए होगा। इस मिसाइल की रेंज एक हजार किमी है। यानी गुआम बेस से दागे जाने पर भी यह चीन नहीं पहुंच सकेगी। इसका मतलब है कि इसे प्रतिक्रिया के तौर पर एशिया में तैनात करना होगा।
हाइपरसॉनिक हथियारों पर भी काम
मार्शल ने यह भी बताया कि अमेरिकी सेना की अलग-अलग यूनिट हाइपरसॉनिक हथियार तैयार कर रही हैं। ये हथियार आवाज की गति से 5 गुना ज्यादा तेजी से ट्रैवल कर सकते हैं और पारंपरिक मिसाइल-डिफेंस सिस्टम के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इनसे चीन के आसपास समुद्र में उसकी रणनीति को भेदा जा सकता है। मार्शल ने कहा कि हाइपरसॉनिक हथियार एशिया-पैसिफिक में स्थिरता पैदा करने वाली रक्षा क्षमता है जिससे हमारे सहयोगी सुरक्षित रहेंगे और चीन जैसे सीमाएं बदलने की कोशिश करता है, सैन्यशक्ति से धमका नहीं सकेगा।