रूसी कोरोना वैक्सीन पर क्या बोला अमेरिका
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर किए गए ऐलान के बाद से ही सरगर्मियां तेज हैं। दुनियाभर के देशों में इस वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। रूस ने जहां दावा किया है कि उसे 20 देशों से इस वैक्सीन के 1 अरब डोज बनाने का ऑर्डर मिला है। वहीं, अमेरिका और जर्मनी सहित कई देशों ने उसके दावों पर संदेह जाहिर किया है।
अमेरिका ने रूसी वैक्सीन पर जताया संदेह
अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा सचिव एलेक्स अजार ने कहा है कि कोविड-19 का पहला टीका बनाने की जगह कोरोना वायरस के खिलाफ एक प्रभावी और सुरक्षित टीका बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। ताइवान की यात्रा पर आए अजार से एबीसी ने मंगलवार को पूछा कि रूस की इस घोषणा के बारे में वह क्या सोचते हैं कि वह कोरोना वायरस के टीके का पंजीकरण करने वाला पहला देश बन गया है।
टीके की सुरक्षा और प्रभाव का पारदर्शी डेटा जरूरी
अजार ने कहा कि विषय पहले टीका बनाने का नहीं है। विषय ऐसा टीका बनाने का है जो अमेरिकी लोगों और विश्व के लोगों के लिए सुरक्षित तथा प्रभावी हो। उन्होंने यह भी कहा कि टीके की सुरक्षा और इसके प्रभाव को साबित करने के लिए पारदर्शी डेटा का होना महत्वपूर्ण है। अजार ने बताया कि अमेरिका में छह टीकों के विकास पर काम हो रहा है।
जर्मनी भी बोला- वैक्सीन पर कोई डेटा नहीं
जर्मनी ने भी रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर संदेह जताया है। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यूरोपीय संघ में क्लिनिकल ट्रायल के बाद ही दवा को मंजूरी दी जाती है। हमारे यहां रोगी की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। रूसी वैक्सीन की गुणवत्ता, प्रभावकारिता और सुरक्षा पर कोई ज्ञात डेटा नहीं है।
रूस का दावा- 20 देशों से 1 अरब डोज का मिला ऑर्डर
रूसी कोरोना वैक्सीन परियोजना के लिए फंड मुहैया कराने वाली संस्था रशियन डॉयरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रिज ने कहा कि इस वैक्सीन के लिए 20 देशों से एक अरब डोज बनाने का ऑर्डर मिला हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि सितंबर से इस वैक्सीन का औद्योगिक उत्पादन शुरू होने की संभावना है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि किन देशों ने इस वैक्सीन के लिए ऑर्डर दिए हैं।