भारत में भी बनेगी रूसी कोरोना वायरस वैक्सीन

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रूस के कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत समेत दुनियाभर के 20 देशों ने रूचि दिखाई है। रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी को लेकर बनाए गए वेबसाइट पर दावा किया गया है कि यूएई, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ब्राजील, मैक्सिको और भारत ने रूस की वैक्सीन को खरीदने की बात की है। इस वैक्सीन के 20 करोड़ डोज बनाने की तैयारी की जा रही है जिसमें से 3 करोड़ केवल रूसी लोगों के लिए होगी।

रूसी कोरोना वैक्सीन परियोजना के लिए फंड मुहैया कराने वाली संस्था रशियन डॉयरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने अपने बयान में कहा है कि इस वैक्सीन का उत्पादन भारत, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, सऊदी अरब, तुर्की और क्यूबा में किया जाएगा। इसमें यह भी बताया गया है कि वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल सऊदी अरब, यूएई, ब्राजील, भारत और फिलीपींस सहित कई देशों में किए जाने की योजना है।

रूस ने बताया कि वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन सितंबर 2020 में शुरू होने की उम्मीद है। भविष्य की योजनाओं में 2020 के अंत तक इस वैक्सीन के 20 करोड़ डोज बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 3 करोड़ वैक्सीन केवल रूसी लोगों के लिए होगी।

पुतिन ने कहा कि इस वैक्सीन के ट्रायल के दौरान उनकी एक बेटी ने भी हिस्सा लिया। पहले चरण के वैक्सीनेशन के बाद उसके शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था, जबकि अगले दिन यह 37 डिग्री सेल्सियस हो गया था। वैक्सीन ने दूसरे चरण के बाद उसके शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ा लेकिन बाद मे सब ठीक हो गया। वह अब अच्छा महसूस कर रही है।

पुतिन ने कोरोना वायरस वैक्सीन के निर्माण से जुड़े हर किसी को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने इसे दुनिया के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि हमारे विदेशी सहयोगी भी हमारा साथ देंगे। इससे वैश्विक दवा और वैक्सीन के बाजार में रूसी वैक्सीन उपलब्ध होगी।

अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा सचिव एलेक्स अजार ने कहा है कि कोविड-19 का पहला टीका बनाने की जगह कोरोना वायरस के खिलाफ एक प्रभावी और सुरक्षित टीका बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अजार ने कहा कि विषय पहले टीका बनाने का नहीं है। विषय ऐसा टीका बनाने का है जो अमेरिकी लोगों और विश्व के लोगों के लिए सुरक्षित तथा प्रभावी हो। उन्होंने यह भी कहा कि टीके की सुरक्षा और इसके प्रभाव को साबित करने के लिए पारदर्शी डेटा का होना महत्वपूर्ण है। अजार ने बताया कि अमेरिका में छह टीकों के विकास पर काम हो रहा है।

जर्मनी ने भी रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर संदेह जताया है। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यूरोपीय संघ में क्लिनिकल ट्रायल के बाद ही दवा को मंजूरी दी जाती है। हमारे यहां रोगी की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। रूसी वैक्सीन की गुणवत्ता, प्रभावकारिता और सुरक्षा पर कोई ज्ञात डेटा नहीं है।

रूसी कोरोना वैक्सीन परियोजना के लिए फंड मुहैया कराने वाली संस्था रशियन डॉयरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रिज ने कहा कि इस वैक्सीन के लिए 20 देशों से एक अरब डोज बनाने का ऑर्डर मिला हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि सितंबर से इस वैक्सीन का औद्योगिक उत्पादन शुरू होने की संभावना है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि किन देशों ने इस वैक्सीन के लिए ऑर्डर दिए हैं।

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