डोनेशन डिप्लोमेसी से भारत को कैसे घेर रहा चीन

डोनेशन डिप्लोमेसी से भारत को कैसे घेर रहा चीन
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कोलंबो
लद्दाख में जारी तनाव के बीच चीन ने भारत को घेरने के लिए बड़े पैमाने पर तैयरियां शुरू कर दी हैं। एक तरफ जहां चीन की शह पाकर नेपाल आंख दिखा रहा है वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान एलओसी से सटे इलाकों में लगातार सीजफायर का वॉयलेशन कर रहा है। इन सबके बीच चीन ने अब बांग्लादेश और श्रीलंका को भी साधने की कोशिशों को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए चीन आर्थिक और डोनेशन डिप्लोमेसी का सहारा ले रहा है।

डोनेशन डिप्लोमेसी से साध रहा श्रीलंका
श्रीलंका ने जून के मध्य में कोरोना वायरस से निपटने के लिए चीनी निर्मित फेस मास्क और चिकित्सा उपकरण का एक और खेप प्राप्त किया है। जो इस बात का सबूत है कि श्रीलंका बीजिंग की विदेश नीति और डोनेशन डिप्लोमेसी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आर्थिक कर्ज से श्रीलंका को बेदम करने के बाद चीन खुद ही वायरस को फैलाकर अब उसका इलाज कर रहा है।

हिंद महासागर में चीन के विस्तार का केंद्र है श्रीलंका
चीन की इंडो पैसिफिक एक्सपेंशन और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में चीन ने श्रीलंका को भी शामिल किया है। श्रीलंका ने चीन का कर्ज न चुका पाने के कारण हंबनटोटा बंदरगाह चीन की मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड कंपनी को 1.12 अरब डॉलर में साल 2017 में 99 साल के लिए लीज पर दे दिया था। हालांकि अब श्रीलंका इस पोर्ट को वापस चाहता है।

अमेरिका के साथ श्रीलंका ने कम किया संबंध
2017 से पहले श्रीलंका और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंध थे। इस दौरान अमेरिकी समर्थक सिरिसेना-विक्रीमेसिंघे प्रशासन ने अमेरिका के साथ Acquisition and Cross-Servicing Agreement (ACSA) को अगले 10 साल के लिए बढ़ा दिया था। इससे अमेरिका को हिंद महासागर क्षेत्र में अपने ऑपरेशन के लिए रसद आपूर्ति, ईंधन भरने और ठहराव की सुविधा मिली थी। लेकिन अब गोटबाया प्रशासन ने अमेरिका के साथ अपने संबंधों को कमतर कर दिया है।

महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में चीन से बढ़ी नजदीकियां
महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में श्रीलंका और चीन के बीच नजदीकियां खूब बढ़ी। श्रीलंका ने विकास के नाम पर चीन से खूब कर्ज लिया। लेकिन, जब उसे चुकाने की बारी आई तो श्रीलंका के पास कुछ भी नहीं बचा। जिसके बाद हंबनटोटा पोर्ट और 15,000 एकड़ जगह एक इंडस्ट्रियल जोन के लिए चीन को सौंपना पड़ा। अब आशंका जताई जा रही है कि हिंद महासागर में अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए चीन इसे बतौर नेवल बेस भी प्रयोग कर सकता है।

गोटभाया राजपक्षे के सत्ता में आते ही बदले समीकरण
साल 2019 में जब श्रीलंका की राजनीति में गोटभाया राजपक्षे ने सत्ता संभाली तब से चीन के साथ संबंध कमतर हुए हैं। क्योंकि श्रीलंका को डर है कि अगर वह चीन से कर्ज लेता रहा तो वह ड्रैगन का सैटेलाइट स्टेट बनकर रह जाएगा।

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