समाजवादी पार्टी में सुलह की कोशिश नाकाम
लखनऊ। समाजवादी पार्टी में पिता-पुत्र के बीच चल रहा राजनीतिनक घमासान थमने के संकेत नहीं हैं। इस पूरे मामले में अब तक अखिलेश यादव का रवैया कई बार दो कदम पीछे हटकर और अधिक आगे बढ़ने वाला रहा है। अब सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दोनों में कोई पीछे कदम खींचने को तैयार नहीं दिखा। दोनों अपना-अपना दांव चलकर साइकिल हथियाने में लगे रहे। आज भी दोनों नेताओं के बीच घंटों मान-मनौव्वल के दो दौर चले। दिन में दो बार चले मंथन में टिकट वितरण और साइकिल चुनाव चिह्न बचाने की कवायद चलती रही। हालांकि सहमति पर कोई विंदु स्थिर नहीं हो सका लेकिन टिकट वितरण में थोड़ा बहुत बदलाव कर अखिलेश का नेतृत्व मजबूत होता दिखा।
फिलहाल कल दिल्ली तक पहुंचा समाजवादी घमासान आज फिर लखनऊ में सिमटता दिखा। आज दोपहर मुलायम सिंह लखनऊ पहुंचे तो कुछ देर बाद अखिलेश उनके आवास पहुंच गए। पार्टी के कई बड़े नेता जुटे। आपसी झगड़े के कारण साइकिल चुनाव चिह्न जब्त होने की आशंका से लेकर लंबी चर्चा के बाद अखिलेश यादव वहां से निकल गए। कुछ देर बाद दिल्ली में रागोपाल यादव ने कहा कि-न सुलह, न समझौता। अखिलेश पर रामगोपाल के असर को देखते माना गया कि फिलहाल सुलह का फार्मूला नहीं निकल पाया है हालांकि मुख्यमंत्री रात लगभग साढ़े आठ बजे फिर पिता से मिलने पहुंचे।
मुलाकात के दौरान अखिलेश पक्ष की पेशकश
– मुलायम सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष रहें
– अमर सिंह पार्टी के बाहर रहें
– शिवपाल को केंद्र की राजनीति में भेजा जाए
– शिवपाल यूपी की सियासत में दखल ना दें
– अखिलेश पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनें
– रामगोपाल यादव को टिकट बांटने का अधिकार मिले
– मुलायम सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष रहें
– अमर सिंह पार्टी के बाहर रहें
– शिवपाल को केंद्र की राजनीति में भेजा जाए
– शिवपाल यूपी की सियासत में दखल ना दें
– अखिलेश पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनें
– रामगोपाल यादव को टिकट बांटने का अधिकार मिले
सपा को एकजुट करने की कोशिशें जारी रखेंगे : आजम खान
इधर, आजम खान पिता-पुत्र के बीच सुलह कराने की कोशिशों में लगातार जुटे हुए हैं. आज़म ने कहा कि कोई नहीं चाहता कि समाजवादी सरकार जाए. अल्पसंख्यक समुदाय में इसे लेकर मायूसी है, लेकिन अभी सारे दरवाजे बंद नहीं हुए हैं. वह सपा को एकजुट करने की कोशिशें जारी रखेंगे.