देश बदलना है तो त्याग करना पड़ेगा : अन्ना हजारे

देश बदलना है तो त्याग करना पड़ेगा : अन्ना हजारे
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

खजुराहो। हार्टअटैक से कई लोग मरते हैं। सुना होगा लोग कहते हैं रात को 10 बजे तक गप्प लगाई। सुबह चाय पीने के लिए नहीं उठे। ऐसे मरने के बजाए मैं देश को समय देना चाहता हूं। देश के लिए मृत्यु आई तो यह सौभाग्य होगा। देश बदलना है तो त्याग करना पड़ेगा।

यह बात सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी नेता अन्ना हजारे ने खजुराहो के शिल्प ग्राम में राष्ट्रीय सूखा मुक्त जल सम्मेलन के दूसरे दिन रविवार को कही। अन्ना ने कहा हमें एक आवाज बनना होगा। सरकार मिटाने की शक्ति होना चाहिए। जलपुरुष राजेंद्र सिंह के कहने पर जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने सम्मेलन के 2 दिन चिंतन में सूखे के हालात मिटाने तैयार प्रस्ताव लोगों को पढ़कर सुनाया।

अन्ना हजारे ने कहा कि करोड़पति की कोई जयंती नहीं मनाता। झोपड़े में रहने वाले की जयंती मनाई जाती है। इसलिए देश के लिए जियो। अन्ना ने कहा कि खुद के लिए जिंदा रहने वाले मरते हैं और देश के लिए मरने वाले हमेशा जिंदा रहते हैं। लखपति करोड़पति को जो आनंद नहीं मिलता वह मुझे मिलता है। मैंने देश के लिए मौत को हथेली पर रखा है। मुझे मौत का भय नहीं है।

रविवार को हुए सम्मेलन में तमिलनाडु के गुरुस्वामी, एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार, प्रतिभा सिंह, इंदिरा खुराना, राजेंद्र पोद्दार कर्नाटक, नटपिकेश अवस्थी, डॉ अरविंद सिंह, आजाद सिंह डबास, मनीष राजपूत, डॉ नीलम प्रभात, नीम पुरुष डॉ आरएस खंगार, बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विजय बहादुर बंुदेला, डॉ बृजगोपाल, भूपेंद्र गुप्ता, अनिल सिंह, डॉ मोहम्मद नईम, रामकृष्ण शुक्ला, रूपक घोष, अमरदीप चौरसिया और मौलिक सिसौदिया मौजूद रहे।

अन्ना हजारे ने कहा कि लोकपाल बिल पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने धोखा दिया और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खरे नहीं उतरे। यह सरकार सत्ता और पैसे के बारे में ज्यादा सोचती है। अन्ना ने कहा कि पूरे देश की एक आवाज बनना चाहिए। उस आवाज के पीछे पूरे देश की जनता खड़ी हो जाएगी तो सब काम आसान हो जाएगा। अभी सब अलग-अलग बात रखते हैं तो सरकार उसे मानती नहीं है। जनता की शक्ति संगठित होना चाहिए। देश कानून के आधार पर चला है। कोई भी प्रश्न हो देश का तो सरकार को सुनना पड़ेगा। नहीं तो ऐसी सरकार गिरे तो भी कोई परवाह नहीं है।

शिल्पग्राम में सम्मेलन के दौरान सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता ने पत्र देकर अन्ना हजारे से पूछा कि कांग्रेस सरकार में तो आपने जन लोकपाल के लिए आंदोलन किया। मोदी सरकार में रिवर्स क्यों हो गए। समापन सत्र में अन्ना ने यह पत्र पढ़कर सुनाया। अन्ना ने कहा कि हमने 2011 में आंदोलन किया था। उससे पहले कांग्रेस सरकार को 72 पत्र लिखे थे। कोई भी सरकार सत्ता में आती है तो उन्हें समय देना जरूरी होता है। अभी इस सरकार को 32 पत्र लिखे हैं। 8 पत्र लोकपाल के लिए और 24 पत्र किसानों के लिए लिखे हैं।

अन्ना हजारे ने कहा कि 23 मार्च शहीदी दिवस को वे दिल्ली में आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि आंदोलन कितने दिन चलेगा यह तय नहीं है। उन्होंने कहा कि वे 100 कार्यकर्ताओं के साथ शहीद भगत सिंह, सुखदेव ओर राजगुरु की समाधि पर गए थे। वहां संकल्प लिया था कि आपने हमारे लिए कुर्बानी दी। अब दोबारा बलिदान की जरूरत पड़ेगी तो हम बलिदान देंगे। इसीलिए दिल्ली में देश के लिए 23 मार्च से आंदोलन शुरू करेंगे।

अन्ना हजारे ने कहा कि 70 साल किसान ने देश को दिया। उसके पास कुछ नहीं। किसान के घर में इनकम नहीं है। उसका क्या होगा। संविधान के मुताबिक सरकार की जिम्मेदारी है सभी का ध्यान रखना तो किसानों को कम से कम 5 हजार रुपए महीने की पेंशन मिलना चाहिए। पिछले 22 साल में 12 लाख किसानों ने आत्महत्या की। किसानों के बारे में कोई सोचता नहीं है। ऐसी स्थिति है।

(साभार : नईदुनिया)

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

watchm7j

Leave a Reply

Your email address will not be published.