हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव शून्य घोषित

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जबलपुर: राज्य अधिवक्ता परिषद की अपील समिति ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव को शून्य घोषित कर दिया है. हालांकि यह आदेश अंतिम नहीं है क्योंकि इस मामले में लगी जनहित याचिका पर 24 अक्टूबर को हाईकोर्ट में सुनवाई होना है. अपील समिति के आदेश को न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा.

राज्य अधिवक्ता परिषद अपील समिति अध्यक्ष शिवेन्द्र उपाध्याय ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि अपील समिति ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनावों को लेकर सुनवाई की. सुनवाई में अभिभाषकों ने जो तर्क दिए उनके अनुसार यह पाया गया कि करप्ट प्रैक्टिस व अनडियू इन्फ्लूएंस की वजह से पूरा चुनाव दूषित हुआ है. अतः अपील स्वीकार करते हुए राज्य अधिवक्ता परिषद की अपील समिति ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के संपूर्ण चुनाव को शून्य घोषित कर दिया है.

गुप्ता ने दिया था आवेदन

बार एसोसिएशन के चुनावों को लेकर अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने 19 अक्टूबर को अपील समिति में आवेदन दिया था. इसके आधार पर समिति ने मतगणना व परिणाम की घोषणा रोक दी थी. समिति की मंशा यह रही कि चुनाव में उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन हो रहा था. समिति की यह चाह रही थी कि मतपत्र मंगाकर जांच कर ली जाए व 138 अभिभाषकों के मतपत्र अगर अलग हो सकें तो कर लिया जाए ताकि दोबारा विवाद की स्थिति न बने और न्यायालय के आदेश का पालन भी कर लिया जाए. लेकिन मतगणना करके परिणाम की जानकारी संबंधित जनों को दे दी गई जो गलत था.

अपील समिति ने क्या पाया

अपील समिति के समक्ष रविवार को हुई सुनवाई में ज्यादातर अभिभाषकों ने स्वीकार किया कि चुनाव में उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन जानबूझ कर हुआ है. इसके अलावा राज्य अधिवक्ता परिषद में कार्यकारी सचिव से आदेश लिखवाए और 2 बजे जैसे ही आदेश प्राप्त हुए 138 प्रतिबंधित मतदाताओं के मत डलवाये गये.

त्रिवेदी व दुबे ने की अवमानना

अपील समिति के समक्ष जो तथ्य आए उसमें आदर्शमुनि त्रिवेदी ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से व पीएन दुबे ने सीधे उच्च न्यायालय के आदेश न मानकर आपराधिक अवमानना की है. इसलिए उच्च न्यायालय में निर्णय की प्रति भेजकर कार्यकारी सचिव अनुरोध करेंगे कि दोनों के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई विधि अनुसार की जाए.

इस सिद्घांत पर दिया निर्णय

समिति ने कहा कि यह बात सही है कि प्रतिबंधित 138 मतदाताओं के मत प्रयोग कर लेने से पूरा चुनाव प्रभावित हुआ है व उक्त चुनाव के प्रत्याशी पृथक-पृथक करके जीत या हार का निराकरण नहीं किया जा सकता है. जहां गेहूं के भूसे से अनाज निकाला जाना संभव नहीं है वहां संपूर्ण को विनिष्ट करना या भूसा मानना स्वस्थापित सिद्घांत है.

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