यूपी के लोग चाहते हैं परिवर्तन : नीतीश कुमार

यूपी के लोग चाहते हैं परिवर्तन : नीतीश कुमार
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बड़ौत. आगामी यूपी चुनाव में अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने मंगलवार को बागपत के बड़ौत  में एक बड़ी रैली की, जिसमें जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए. रैली में मुख्यमंत्री नीतीश  कुमार ने कहा कि यूपी के लोग परिवर्तन चाहते हैं और जिन्हें अब तक मौका  दिया गया है, उन सभी से मुक्ति भी चाहते हैं.

जदयू के प्रमंडलीय सम्मेलनों में  यह बात देखने को मिली कि यहां की जनता सरकार से कितनी नाराज है. ऐसा  प्रचार किया जा रहा है कि सपा और बसपा ही सत्ता में आयेंगे. लेकिन ऐसा नहीं है. यहां की भीड़ को देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनता क्या चाहती है.

आखिर वह बदलाव चाहती है, तो किसको देखना चाहती है? उन्होंने  पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चर्चा करते हुए कहा कि यहां का माहौल कितना अच्छा  था, लेकिन पिछले चुनाव के समय माहौल को खराब करने का काम किया गया.  मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की नीतियों पर प्रहार करते हुए कहा कि सरकार  पुरानी योजनाओं को नये नाम से चलाती है और उसका आधा खर्च राज्यों को वहन  करना पड़ता है, जबकि नाम केंद्र सरकार अपने हिसाब से रखती है.

जदयू  अध्यक्ष ने कहा कि एक मंच पर हम सब इकट्ठा हुए हैं, इसका संदेश स्पष्ट है.  चुनाव के विश्लेषक जैसे बिहार में गच्चा खा गये, उसी तरह से यूपी में भी  गच्चा खायेंगे. उन्होंने बिहार में शराबबंदी कानून की चर्चा करते हुए कहा कि  यदि हमलोगों की सरकार यहां पर बनी तो यूपी में भी शराबबंदी की जायेगी.

जदयू  के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि यहां के लोग चौधरी साहब के अादर्शों को  भुला दिये. उन्होंने चौधरी चरण सिंह के समय से चली आ रही उस आपसी साैहार्द को बहाल करने की बात कही, जिसमें कभी इन इलाकों में दंगा नहीं हुआ. उन्होंने लोगों से अपील की कि एक आंख फसल पर रखो और एक  आंख लखनऊ की सत्ता पर, तभी क्षेत्र का विकास हो सकता है.

जदयू के  राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह के समय  पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जो जलवा था, उसे खत्म कर दिया गया. एक जमाना था  कि दिल्ली के पीएम चाैधरी साहब से पूछ कर तय किये जाते थे, लेकिन आज अजित  सिंह को इसी क्षेत्र से हरा दिया गया. उन्होंने कहा कि क्या इस क्षेत्र के  लोगों का हौसला हार गया या फिर जज्बात हार गया. एक बार सोचना कि आखिर मुजफ्फरनगर के दंगे से किसको फायदा हुआ.

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