'कोरोना का तेज फैलाव, ये अस्तित्व का मसला', सेक्स वर्कर्स राशन केस में ममता सरकार को SC की फटकार

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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्करों को सूखा राशन मुहैया कराने के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल न करने के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर नागरिक को मौलिक अधिकार मिला हुआ है चाहे उसका पेशा कुछ भी हो लेकिन मौलिक अधिकार सबको मुहैया कराया गया है।

जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि कोरोना वायरस का तेजी से फैलाव है और यह सेक्स वर्करों के अस्तित्व का मसला है और राज्य इस मामले को हल्के में ले रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपको कितनी बार बताएं हम सख्ती करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाकी राज्य हलफनामा दे रहे हैं पश्चिम बंगाल सरकार को क्या परेशानी है। हर सख्त रुख नहीं दिखा रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसे हल्के में लें। राज्य सरकार के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य साथी योजना शुरू की है। जो भी जरूरतमंद है उनको राशन दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहाहै कि वह उठाए गए कदम के बारे में विस्तार से हलफनामा दायर करें।

सुप्रीम कोर्ट 29 सितंबर 2021 को तमाम राज्यों से कहा था कि वह सेक्स वर्करों को पहचान का सबूत पेश करने के लिएबाध्य किए बिना ड्राई राशन उपलब्ध कराएं। अदालत ने तमाम राज्यों को निर्देश दिया था कि वे राष्ट्रीय एड्स कंट्रोल संगठन और लीगल सर्विस अथॉरिटी द्वारा पहचान किए गए सेक्स वर्करों को पहचान का सबूत दिखाने के लिए बाध्य न करें और उन्हें राशन दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निर्देश जारी किया था और कहा था कि तमाम राज्य सरकारें चार हफ्ते में इस आदेश का पालन कर रिपोर्ट पेश करें।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि राज्य सरकारें इस मामले में सेक्स वर्करों को राशन उपलब्ध कराने के निर्देश का पालन कर अपनी रिपोर्ट पेश करें और कोर्ट को इस बात से अवगत कराएं कि कितनी संख्या में सेक्स वर्करों को राशन मुहैया कराया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोरोना काल में सेक्स वर्करों को क्या वित्तीय सहायता दिया जाए इस सवाल पर बाद में विचार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लीगल सर्विस अथॉरिटी द्वारा पहचान में सहयाता की जाएगी और उन सेक्स वर्करों को अनाज उपलब्ध कराया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई है कि कोरोना महामारी के कारण सेक्स वर्करों की स्थिति बेहद दयनीय है। याचिका में कहा गया है कि देश भर में 9 लाख से ज्यादा सेक्स वर्करों को राशन कार्ड दिया जाए साथ ही अन्य सुविधाएं मुहैया कराया जाए। अदालत ने राज्य सरकारों से कहा था कि वह इस मामले में विस्तार से रिपोर्ट पेश करे और बताए कि सेक्स वर्करों को किस तरह से तमाम सुविधाएं दी जा सकती है और कैसे राशन कार्ड मुहैया कराई जा सकती है। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया था कि कोरोना महामारी के कारण 96 फीसदी सेक्स वर्कर आमदनी का जरिया गंवा चुकी हैं। सेक्स वर्करों को जीवन का अधिकार है और गरिमा के साथ जीने का अधिकार है।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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