ममता बनर्जा का दिल्‍ली मिशन, बेपटरी हो चुकी विपक्षी एकता को रास्‍ते पर लाएंगी!

ममता बनर्जा का दिल्‍ली मिशन, बेपटरी हो चुकी विपक्षी एकता को रास्‍ते पर लाएंगी!
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नई दिल्ली
बदलते राजनीतिक घटनाक्रम और संसद के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले दिल्ली में सियासी तापमान को बढ़ाने के लिए पश्चिम बंगाल की सीएम ने अपने चार दिनों के दिल्ली दौरे पर पहुंची हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि क्या बेपटरी हो रही विपक्षी एकता को फिर से पटरी पर लाने में ममता बनर्जी सफल होंगी?

क्या सोनिया गांधी से होगी मुलाकात?इस दौरे में सबकी नजर इस बार पर रहेगी कि ममता की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात होती है या नहीं। टीएमसी सूत्रों ने दावा किया कि ममता का यह दौरा विपक्षी एकता के लिए बेहद अहम होगा लेकिन मुलाकात के बारे में कुछ नहीं कहा। वहीं, कांग्रेस सूत्रों के अनुसार अभी ममता बनर्जी-सोनिया के बीच मुलाकात की कोई जानकारी नहीं है।

कल पीएम से मिलेंगी ममतावह 24 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगी। बनर्जी ने कहा कि इस मुलाकात में वह बीएसएफ को राज्यों के अंदर दिए गए अधिकार के अलावा त्रिपुरा के हालात पर बात करेंगी। बीएसएफ को अधिक अधिकार दिए जाने पर केंद्र और विपक्षी राज्यों में टकराव जारी है। पश्चिम बंगाल के अलावा पंजाब विधानसभा में इसके विरोध में प्रस्ताव पास हो चुका है।

क्या TMC-कांग्रेस की बनेगी बात?ममता बनर्जी की यह मुलाकात और विपक्षी एकता की नए सिरे से कोशिश ऐसे समय हो रही है जब पिछले कुछ दिनों से टीएमसी और कांग्रेस के बीच संबंधों में हल्की कड़वाहट आई है। बंगाल में मिली बड़ी जीत के बाद जब टीएमसी ने अपनी राष्ट्रीय हसरत बड़ी की और कई कांग्रेसी नेताओं को अपने पाले में किया उसके बाद विपक्षी एकता की गाड़ी पलटती दिखी। विपक्षी दलों की अंतिम मीटिंग 20 अगस्त को वर्चुअल तरीके से हुई थी।

विपक्ष होगा साथ या बिखराव?बंगाल में जीते बाद ममता बनर्जी जुलाई महीने में चार दिनों के दिल्ली दौर पर आई थीं। तब बनर्जी ने सोनिया गांधी के अलावा शरद पवार, अरविंद केजरीवाल सहित विपक्षी नेताओं के साथ मीटिंग की थी। ममता ने कहा था कि हर दो महीने में एक बार दिल्ली आकर विपक्षी एकता को मजबूत करेंगी। लेकिन उसके चार महीने के बाद पहली बार वह दिल्ली आ रही हैं।

क्या संसद सत्र से पहले बनेगी रणनीति?ममता बनर्जी संसद सत्र से पहले दिल्ली आ रही हैं। कहा जा रहा है कि सरकार को घेरने के लिए विपक्ष की रणनीति पर भी बात हो सकती है। चीनी घुसपैठ, पेगासस जासूसी केस और कृषि कानूनों के मुद्दों पर विपक्षी दल सरकार को घेरने के लिए तैयार हैं। सत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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