कर्नाटक में देश का सबसे बड़ा बिटकॉइन घोटाला, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी से हो जांच : रणदीप सुरजेवाला
करीब एक साल पहले बेंगलुरु में कथित हैकर श्रीकृष्णा उर्फ श्रीकी को गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से करोड़ों रुपये के बिटकॉइन जब्त किए गए हैं। श्रीकृष्णा पर सरकारी पोर्टलों की हैकिंग करने, ‘डार्कनेट’ के जरिए मादक पदार्थ मंगाने और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से उसका भुगतान करने का भी आराप है।
कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक प्रभारी सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह हिंदुस्तान का सबसे बड़ा बिटकॉइन घोटाला है। इसके तार 14-15 मुल्कों से जुड़े हैं। इस मामले में हर चीज पर पर्दा डालने के षड्यंत्रकारी प्रयास किए गए। एनआईए और दूसरी एजेंसियों को अंधेरे में रखा गया। कर्नाटक की भाजपा सरकार इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है।’
सुरजेवाला ने दावा किया, ‘इस कथित हैकर ने मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिया। उसने खुद माना कि उसने 8 बार हैकिंग की है और यह स्वीकार किया है कि उसने 5000 बिटकॉइन चुराए, बहुत सारी जानकारी उसने नहीं दी है।’
उन्होंने कुछ दस्तावेज जारी करते हुए दावा किया, ‘दो मौकों पर एक दिसंबर, 2020 और 14 अप्रैल, 2021 को बिटकॉइन ट्रांसफर किए गए। इस अवधि में कथित हैकर श्रीकृष्णा बेंगलुरू पुलिस की हिरासत में था। इस पूरे मामले में कर्नाटक की सत्ता में मौजूद लोगों पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की चुप्पी पर सवाल खड़े होते हैं।’
सुरजेवाला के मुताबिक, मुख्यमंत्री बसवराव बोम्मई ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और खुद कहा है कि उन्होंने इस बैठक के दौरान बिटकॉइन घोटाले पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री और जेपी नड्डा से पूछना चाहते हैं कि बिटकॉइन घोटाले के पीछे कौन लोग हैं?’
कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘इंटरपोल को सूचित क्यों नहीं किया गया? कर्नाटक की भाजपा सरकार नवंबर, 2020 में कथित हैकर की गिरफ्तारी होने के बाद पांच महीने चुप क्यों रही? मुख्यमंत्री की भूमिका और जिम्मेदारी क्या है क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम के समय वह राज्य के गृह मंत्री थे? एनआईए, ईडी और दूसरी एजेंसियों तथा रिजर्व बैंक को सूचित क्यों नहीं किया गया?’
उन्होंने कहा, ‘इसकी जांच भाजपा सरकार नहीं कर सकती। यह एक अंतरराष्ट्रीय बिटकॉइन घोटाला है। इसकी जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की निगरानी में एसआईटी गठित की जाए। इंटरपोटल, दूसरी संबंधित एजेंसियों और रिजर्व बैंक के प्रतिनिधियों को भी इस जांच में शामिल किया जाए।’
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स