स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण होने दिया तो पुनर्वास का जिम्मा भी उठाना होगा, सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रेलवे की जमीन पर अगर अतिक्रमण की इजाजत स्थानीय म्युनिसिपल अथॉरिटी ने दी है तो उसको इसकी जिम्मेदारी भी लेनी होगी। सूरत और फरीदाबाद में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण मामले में पुनर्वास की जिम्मेदारी किसकी हो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने उक्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट अब 15 नवंबर को सुनवाई करेगा।
कब्जा न हो, निगम सुनिश्चित करेसुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच ने सूरत म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की ओर से पेश वकील से मुखातिब होते हुए कहा कि पहले तो आप अतिक्रमण होने देते हैं और फिर कहते हैं कि राज्य जिम्मेदार है। रेलवे की जमीन जरूर है लेकिन प्रशासन आपके हाथ में है और आपको सुनिश्चित करना होगा कि कोई अवैध कब्जा या अतिक्रमण न होने पाए।
HC ने झुग्गी हटाने को दिया था आदेशसुप्रीम कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि लोकल अथॉरिटी ने अगर अतिक्रमण की इजाजत दी है तो पुनर्वास की जिम्मेदारी राज्य पर क्यों हो। यह जिम्मेदारी भी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को लेनी होगी। गुजरात हाई कोर्ट ने सूरत में रेलवे की जमीन पर बने 10 हजार झुग्गी को हटाने का आदेश दिया था। साथ ही फरीदाबाद के 40 झुग्गी हटाने को कहा गया है। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट आया और सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बहाल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट में अब 15 नवंबर को सुनवाई होगी।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स