नाबालिग होने का दावा कभी भी उठाया जा सकता है, SC ने आगरा जेल के 23 कैदियों की उम्र वेरिफाई करने का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी स्टेज पर किया जा सकता है। किसी मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद भी आरोपी जूवनाइल यानी उठा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आगरा जेल में बंद याचिकाकर्ताओं के जूवनाइल होने के दावे का यूपी सरकार से वेरिफिकेशन करने को कहा है। अदालत ने कहा है कि एक महीने के भीतर इसकी जांच की जाए और अगर कोई जूवनाइल निकलता है तो उसे रिलीज किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में आगरा जेल में याचिकाकर्ताओं की ओर से अर्जी दाखिल कर जूवनाइल होने का दावा किया गया है। याचिकाकर्ताओं के वकील रिषी मल्होत्रा ने कोर्ट को बताया कि आगरा जेल में 23 कैदी बंद हैं जो छह साल से लेकर 20 साल तक से जेल में बंद हैं।
याचिका में कहा गया है कि यूपी सरकार को निर्देश दिया जाए कि कैदी के जूवनाइल होने के दावे का वेरिफिकेशन करे। याची के वकील ने कहा कि घटना के वक्त वो नाबालिग थे। अलग-अलग मामले में वो सजा काट रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जूवनाइल होने का दावा उठाने में देरी उस अर्जी को खारिज करने का आधार नहीं हो सकता है। शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार से कहा है कि वह एक महीने में याची के जूवनाइल होने के दावे का संबंधित सेशन कोर्ट से वेरिफिकेशन कराए और अगर कोई भी जूवनाइल है तो उसे रिहा किया जाए।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स