कन्हैया व जिग्नेश के बहाने यूथ को कांग्रेस से जोड़ने की रणनीति, पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को संदेश भी
संघ व बीजेपी के खिलाफ निर्भीकता की विचारधारा मौजूदा दौर में राहुल गांधी विपक्ष का एक ऐसा चेहरा हैं, जो लगातार पीएम मोदी, बीजेपी व संघ को सीधे लगातार चुनौती दे रहा हैं। पिछले दिनों पार्टी के एक कार्यक्रम में उन्होंने अपने एक संदेश में कहा भी था कि जो लोग निडर होकर सीधे बीजेपी- संघ से टकराने का साहस रखते हों, उनकी जगह कांग्रेस में होनी चाहिए। अपनी पार्टी छोड़कर जाने वालों से उनका कहना था कि जो लोग इनसे डरते हैं, वे कांग्रेस छोड़कर जा सकते हैं। उन्हें रोका नहीं जाएगा। लेकिन संघ-बीजेपी के खिलाफ निर्भीकता व बिना डरे खड़े होने का कांग्रेस की विचारधारा बताते हुए उन्होंने कहा था कि ऐसे जो लोग कांग्रेस से बाहर हैं, उन्हें कांग्रेस के भीतर लाना चाहिए। ऐसे में कन्हैया कुमार व जिग्नेश मेवाणी जैसे चेहरों को शामिल कराने के पीछे कांग्रेस व राहुल गांधी की वहीं सोच दिखाई देती है।
संघ और बीजेपी पर हमेशा हमलावर रहे हैं कन्हैयाकन्हैया कुमार लगातार बीजेपी व संघ की नीतियों के खिलाफ मुखर रहे हैं। कांग्रेस के एक युवा नेता का कहना था कि आज के दौर में जहां ज्यादातर ने पीएम मोदी, बीजेपी व संघ के खिलाफ हथियार डाल दिया हो, वहां कन्हैया सीधे पीएम मोदी व संघ की आंख में आंख डालकर बात करता रहा है। उनके खिलाफ लगातार लड़ रहा है। वहीं दलित तबके की नुमाइंदगी करने वाले जिग्नेश भी गुजरात में बीजेपी सरकार का खुलकर विरोध करते रहे हैं। कांग्रेस में कहा जा रहा है कि राहुल अपनी नई टीम बनाने में जुटे हैं। ऐसे में वह इस टीम में उन लोगों को जोड़ना चाहते हैं, जो विचारधारा के आधार पर कांग्रेस के नजदीक दिखाई देता है।
यूथ को जोड़ने की कोशिश इन नेताओं के द्वारा कांग्रेस खुद को कहीं न कहीं युवाओं से कनेक्ट भी करना चाहता है। दरअसल, कन्हैया कुमार व जिग्नेश मेवाणी अपने आप में एक फायरब्रांड चेहरे हैं। कन्हैया की देशभर में युवाओं खासकर स्टूडेंट्स के बीच एक खासी फैन फॉलोइंग है। इस बारे में यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव व बिहार से आने वाले अमरीश रंजन पांडेय का कहना था कि कन्हैया एक ऐसा छात्र युवा नेता है, जिन्हें पूरे देश में सुना जाता है। लोग बिहार में नहीं, बल्कि देश भर में उन्हें सुनने के लिए आते हैं। वह आम आदमी की बात करते हैं, इसलिए आसानी से लोगों से कनेक्ट करते हैं। पढ़े लिखे इंसान हैं, अपनी हर बात लॉजिकल ढंग से सामने रखते हैं, जो लोगों को अपील करती है। इसके अलावा, युवाओं में उनका अपना एक अलग क्रेज है।
कन्हैया का कांग्रेस पूरे देश में करेगी इस्तेमालकन्हैया की इन्हीं खूबियों के मद्देनजर कांग्रेस आने वाले दिनों में कन्हैया का इस्तेमाल पूरे देश में करना चाहेगी। उल्लेखनीय है कि छात्र राजनीति व युवा राजनीति से पार्टी के भीतर आने वाले नेताओं की लिस्ट कांग्रेस में लंबी रही है। गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, अशोक गहलोत, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रमेश चेनिथल्ला, गुरदास कामत, तारिक अनवर, अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, राजीव सातव जैसे चेहरे कांग्रेस पार्टी में छात्र राजनीति व युवा राजनीति से ही उभरकर सामने आए। लेकिन समय के साथ जमीनी नेताओं व युवा चेहरों की कमी होती गई। इसी के साथ युवाओं के साथ कांग्रेस का कनेक्ट भी कम होता चला गया। ऐसे में कांग्रेस युवाओं को फिर से जोड़ने के लिए युवा चेहरों को साथ लेना चाहती है, जिनकी जमीन पर एक पकड़ हो।
पार्टी छोड़कर जा रहे लोगों को संदेश इन युवाओं को जोड़ कर कांग्रेस कहीं न कहीं अपने विरोधियों, आलोचकों व उन लोगों को संदेश देना चाहती है, जो हाल फिलहाल में पार्टी छोड़कर गए हैं या फिर जिनके जाने की चर्चा है। पिछले दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद व सुष्मिता देव जैसे युवा चेहरे कांग्रेस से अलग हुए। एक समय में ये सभी नेता राहुल गांधी की युवा टीम के सदस्य थे। युवाओं के जाने के बाद यह कहा जाता रहा कि युवा कांग्रेस को छोड़कर इसलिए जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें कांग्रेस में अपना कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा। ऐसे में कांग्रेस कन्हैया व जिग्नेश जैसे लोगों को अपने जोड़कर यह संदेश देना चाहेगी कि युवा अभी भी कांग्रेस व उसकी विचारधारा में भरोसा कर रहा है।
बिहार में कांग्रेस को मजबूती के लिए कन्हैया के जरिए कांग्रेस बिहार में अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करेगी। दरअसल, बिहार में कांग्रेस का जमीनी आधार लगभग खत्म होने के कगार पर है। पार्टी व संगठन वहां बेहद कमजोर है। दूसरे दल लगातार कांग्रेस में सेंध लगाते रहे हैं। ऐसे में अपनी एक जमीनी पकड़ रखने वाले कन्हैया कुमार वहां कांग्रेस के लिए मददगार हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की नजर वहां उन इलाकों पर है, जहां लेफ्ट का अभी भी प्रभाव है। लेफ्ट पृष्ठभूमि व विचारधारा से आने वाले कन्हैया ऐसी सीटों पर कांग्रेस के लिए जमीन तलाशने में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
गुजरात पर भी नजर जिग्नेश के सहारे कांग्रेस की नजर गुजरात पर है, जहां अगले साल चुनाव होने हैं। उल्लेखनीय है कि जिग्नेश पिछले गुजरात चुनावों में उन तीन युवा चेहरों में एक थे, जिन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी को चुनौती दी थी। इनके अलावा, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल व ओबीसी चेहरे अल्पेश ठाकोर थे। हालांकि जिग्नेश ने तब कांग्रेस का हाथ नहीं थामा और निर्दलीय चुनाव लड़ा, जबकि पटेल व ठाकोर कांग्रेस के साथ आ गए। जिग्नेश को साथ लेकर कांग्रेस दलितों को संकेत देने की कोशिश करेगी। पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को दलित सीएम बनाने के बाद जिग्नेश को कांग्रेस में शामिल करा कर कांग्रेस कहीं न कहीं अपने उस दलित वोट बैंक को संकेत देना चाहती है, जो देशभर में लंबे समय तक उसके साथ ही रहा है। गुजरात में दलित लगभग सात फीसदी हैं। कांग्रेस की रणनीति गुजरात में आम आदमी पार्टी की राजनैतिक महत्वाकांक्षा के लिहाज से भी अहम मानी जा रही है, जो वहां अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है। आप का वोट बैंक भी काफी हद तक दलितों पर निर्भर करता है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स