सिद्धू पर BJP स्टाइल में वार, पीएम मोदी से भी नहीं तकरार, क्या भगवा पार्टी का दामन थामेंगे अमरिंदर?
पंजाब के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू पर बीजेपी स्टाइल में हमला किया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अमरिंदर ने जहां अपने प्रतिद्वंद्वियों शिरोमणि अकाली दल (SAD) और अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी पर सीधे-सीधे हमला किया। वहीं, भाजपा के प्रति उनका रवैया सॉफ्ट रहा।
अमरिंदर के इस रुख के कारण 2015 में यहां तक दावा किया जाने लगा था कि वह भगवा पार्टी से जुड़ सकते हैं। हालांकि, उन्होंने बाद में ऐसी अटकलों को खारिज कर दिया था। अब जिस तरह से उन्होंने सिद्धू पर हमलावर तेवर अख्तियार किए हैं, दोबारा उनके भाजपा से जुड़ने की अटकलें लगने लगी हैं।
बिना लाग-लपेट ठीक भाजपा की तरह कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू के पाकिस्तानी कनेक्शन की बात कह डाली है। उन्होंने साफ कहा है कि अगले विधानसभा चुनाव में अगर सिद्धू को कांग्रेस सीएम का चेहरा बनाती है तो वह खुलकर विरोध करेंगे। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बताया है। कैप्टन अमरिंदर ने दावा किया है कि सिद्धू की न केवल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से अच्छी दोस्ती है, बल्कि पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से उनके संबंध हैं। अगर वह सीएम बने तो पंजाब का बेड़ागर्क कर देंगे।
अमरिंदर ने सिद्धू के पाकिस्तान से इन रिश्तों की बात कुछ साल पहले इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह को जोड़ते हुए की हैं। तब इमरान ने सिद्धू को आमंत्रित किया था। अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को सलाह दी थी कि उन्हें इस समारोह में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। यह अलग बात है कि सिद्धू ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। पाकिस्तान में ही सिद्धू बाजवा से गले मिलते हुए दिखे थे। इसके लिए भी अमरिंदर ने सिद्धू की आलोचना की थी।
एक-लाइन पर अमरिंदर और भाजपा
पाकिस्तान को लेकर भाजपा का स्टैंड बिल्कुल क्लीयर रहा है। वह पाकिस्तान को आतंक फैलाने की फैक्ट्री की तरह देखती है। भारत की पीठ पर छुरा भोंक पाकिस्तान ने भी बार-बार यही दिखाया है कि वह भरोसे के लायक नहीं है। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनवाकर उसने फिर से अपने डबल गेम से इस बात को साबित किया है। इस मामले में अमरिंदर का रुख भी आक्रामक रहा है। वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी भी मसले पर सॉफ्ट स्टैंड लेते नहीं दिखे हैं। यही बात उन्हें भाजपा के करीब ला देती हैं।
वहीं, कांग्रेस सहित उसके कई अन्य नेताओं का रुख पाकिस्तान के प्रति भाजपा जितना आक्रामक नहीं रहा है। अगर अमरिंदर कांग्रेस का विरोध नहीं करते तो यह भी सच है कि उनके विचार पार्टी के साथ मेल भी नहीं खाते हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग में खुद शामिल थे। सेना के मसलों में उनकी संवेदनशीलता साफ छलक आती है।
जालियांवाला बाग मामले में लिया अलग स्टैंड
हाल में भी कई बार अमरिंदर ने पार्टी लाइन से इतर अपनी बात कही। जलियांवाला बाग रेनोवेशन मामला इसका ताजा उदाहरण है। जहां कांग्रेस ने भाजपा पर रेनोवेश के नाम पर इतिहास को मिटाने का आरोप लगाया। वहीं, अमरिंदर ने रेनोवेशन वर्क के लिए मोदी सरकार को क्लीन चिट दी थी। उन्होंने कहा था कि वह उद्घाटन कार्यक्रम में थे। उनके हिसाब से जलियांवाला बाग रेनोवेशन बहुत बढ़िया है।
हाल में पीएम से की थी मुलाकात
कैप्टन अमरिंदर विपक्ष के उन कुछ मुख्यमंत्रियों में से हैं जो खुलकर प्रधानमंत्री मोदी से मिलते रहे हैं। हाल में भी उनकी पीएम मोदी से मुलाकात हुई थी। तब उन्होंने कृषि कानूनों का मुद्दा उठाया था। कैप्टन अमरिंदर ने पीएम से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की थी। जिस तरह विपक्ष के नेता पीएम पर हमलावर रहते हैं, अमरिंदर को कभी ऐसा करते नहीं देखा गया।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स