चीन की सेना में भर्ती नहीं होना चाहते युवा, मजबूरन उठाना पड़ा यह कदम
चीन ने कुछ वक्त पहले ही एक ड्राफ्ट पॉलिसी रिलीज की है। इसमें कहा गया है कि युद्ध के वक्त अनिवार्य सैन्य भर्ती के लिए रिटायर्ड पीएलए के सैनिक टॉप प्रायॉरिटी होंगे। इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे अथॉरिटी अनिवार्य सैन्य भर्ती के लिए रिटायर्ड सैनिकों और दूसरे लोगों की लिस्ट बनाएगी। इस रेगुलेशन के तहत स्टेट काउंसिल या सेंट्रल मिलिट्री कमिशन मोबलाइजेशन ऑर्डर जारी करेगा। एक तरफ रिटायर्ड सैनिकों के लिए अनिवार्य सैन्य भर्ती की योजना बन रही है। वहीं, चीनी सेना इस बात से परेशान है कि युवा सेना में शामिल नहीं होना चाहते।
सूत्रों के मुताबिक, चीन में ऐसे युवाओं की संख्या लगातार घट रही है जो आर्म्ड फोर्सेस में अपना करियर बनाना चाहते हैं। इसके लिए काफी कम स्टूडेंट्स अप्लाई कर रहे हैं। आर्म्ड फोर्सेस में भर्ती होने का जरिया चाइनीज मिलिट्री एकेडमी और मिलिट्री स्कूल में एनरोलमेंट के लिए स्टूडेंट्स कम आ रहे हैं। इसकी वजह से चीन को मजबूरन मानकों में कमी करनी पड़ी है।
बीजिंग की नेशनल डिफेंस एकेडमी जो पहले उन्हीं स्टूडेंट्स को एनरोल करती थी जिनके अकेडमिक्स में कम से कम 600 नंबर होते थे, लेकिन अब इसे घटाकर 573 कर दिया गया है। चीनी सेना अब मानकों को कम कर ज्यादा उम्मीदवारों की उम्मीद कर रही है।
वैसे तो भारतीय सेना में भी ऑफिसर्स और सैनिकों की कमी है, लेकिन भारत ने कभी मानकों में ढील नहीं दी। रक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि भारतीय आर्म्ड फोर्सेस में 9712 अधिकारियों और करीब 1.09 लाख सैनिकों की कमी है। उसमें भारतीय सेना में अफसरों के 7912 पद और सैनिकों के 90640 पद खाली हैं। लेकिन, भारतीय सेना ने कभी भी मानकों में कमी की बात नहीं सोची।
पिछले साल सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब आर्मी चीफ जनरल एम एम नरवणे से अफसरों की कमी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने माना कि सेना में ऑफिसर्स की कमी है, लेकिन साथ ही कहा कि ऐसा नहीं है कि लोग अप्लाई नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि एनडीए की 300-350 पोस्ट के लिए लाखों एप्लिकेशन आते हैं, लेकिन हमने सेलेक्शन स्टैंडर्ड कम नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा क्वॉलिटी पर फोकस है। पांच होनहार ऑफिसर हों तो 100 का भी काम कर सकते हैं।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स