राज्यसभा में विपक्ष के आचरण की हो जांच, गोयल ने की समिति बनाने की मांग

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नई दिल्ली
संसद के मानसून सत्र में हंगामे के दौरान विपक्षी सदस्यों के आचरण की कड़ी निंदा करते हुए में सदन के नेता ने बुधवार को सभापति से आग्रह किया कि वह इसके लिए एक समिति का गठन करें और दोषी सदस्यों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें।

सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने से पहले गोयल ने पूरे सत्र के दौरान विपक्षी दलों द्वारा किए गए हंगामे और इस दौरान कागज फाड़कर आसन की ओर फेंकने सहित अन्य विभिन्न घटनाओं का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दल सत्र की शुरुआत से ही संसद ना चलने देने की ठानकर आए थे। उन्होंने कहा कि आज पीठासीन अध्यक्ष, महासचिव पर हमला करने की कोशिश की गई और सबसे निदंनीय’ यह हुआ कि एक महिला सुरक्षाकर्मी की गला घोंटने की कोशिश की गई। संसदीय कार्यमंत्री ने भी मामले में स्पेशल कमिटी बनाकर जांच की मांग की।

उन्होंने कहा, ‘बड़े दुर्भाग्य की बात है। ऐसा व्यवहार देश को बर्दाश्त नहीं है। आप वारदात की गहराई में जाएं। जो भी रिकार्ड हैं, उसके हिसाब से पूरी वारदातों की छानबीन करें। हम इन घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं इनकी जांच के लिए एक विशेष समिति गठित की जाए।’

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी संसद में विपक्ष के हंगामे की जांच के लिए एक स्पेशल कमिटी बनाने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘राज्यसभा के चेयरमैन को एक स्पशेल कमिटी बनाकर विपक्षी सांसदों की अनुशासनहीनता की जांच करवानी चाहिए। मामले में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अपने 10 साल के संसदीय कार्यकाल में मैंने आज तक ऐसा व्यवहार नहीं देखा है।’

उन्होंने आग्रह किया कि पूरी छानबीन के बाद दोषी सदस्यों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो। उन्होंने कहा, ‘साधारण कार्रवाई से न्याय नहीं हो सकता है। कठोर कदम उठाइए ताकि आगे चलकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो और सदस्यों द्वारा सदन में भद्दा प्रदर्शन ना किया जाए। इसके हर पहलू में जाकर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए। ताकि कोई भी सदन का अपमान ना कर पाए।’

गोयल ने कहा कि सदन में जो दृश्य देश ने देखा है, उसका जवाब वह आने वाले दिनों में देगा। नेता सदन ने कहा कि विपक्ष शुरू से ही ठानकर आया था कि मानसून सत्र को वह ठप कर देंगे और उसके अनुकूल ही उन्होंने सदन में व्यवहार किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने लगातार विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधा और सदन चलाने की कोशिश की लेकिन वह अपने रुख पर कायम रहे और इस दौरान उन्होंने आसन से लेकर सदन और देश का अपमान किया

सदन में सुरक्षाकर्मियों के साथ विपक्षी सदस्यों के कथित दुर्व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि कोविड-19 के बावजूद उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर सदन के सुचारू संचालन में मदद की लेकिन विपक्षी सदस्यों ने हंगामे और प्रदर्शन के दौरान कोविड संबंधी नियमों का पालन नहीं किया।

गोयल ने कहा, ‘उन्होंने (विपक्षी सदस्यों) हर कोविड प्रोटोकॉल और शिष्टाचार का उल्लंघन किया। यह शर्मनाक व्यवहार था। पहले से ही सोच कर आए थे कि सदन को चलने नहीं देंगे।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड-19 के संबंध में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस के शामिल ना होने का भी जिक्र किया और कहा कि यह इस महामारी को लेकर विपक्ष के रवैये को दर्शता है।

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के अलावा अर्थव्यवस्था की स्थिति और किसानों के विषय पर चर्चा को लेकर सभी पक्षों में सहमति बनने के बावजूद विपक्षी दलों ने व्यवधान डाला और कार्यवाही नहीं चलने दी। उन्होंने आरोप लगाया कि कौन अधिक सदन में हंगामा कर सकता है इसको लेकर विपक्षी दलों के बीच होड़ लगी हुई थी।

उन्होंने कहा, ‘इस सत्र में विपक्ष का जो व्यवहार रहा, वह मैंने कभी अपने राजनीति जीवन में नहीं देखा।’ गोयल ने पेगासस जासूसी मामले में बयान दे रहे सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथ से तृणमूल कांग्रेस सदस्य शांतनु सेन द्वारा बयान छीनकर फाड़ देने और सदन की लाबी में एक सदस्य द्वारा कांच का दरवाजा तोड़ देने के कारण एक महिला सुरक्षाकर्मी के घायल होने की घटना का उल्लेख करते हुए इन्हें दुखद बताया।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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