कौन सी पार्टी बिना स्थायी अध्यक्ष के काम कर पाएगी…..राहुल-सोनिया पर बरसे सिब्बल

कौन सी पार्टी बिना स्थायी अध्यक्ष के काम कर पाएगी…..राहुल-सोनिया पर बरसे सिब्बल
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नई दिल्ली
संसद का मॉनसून सत्र जारी है। कांग्रेस पार्टी पेगासस, किसान आंदोलन समेत अन्य मुद्दों को को लेकर केंद्र सरकार को घेरने में जुटी। एकतरफ पार्टी विपक्ष को एकजुट करने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर अंदरूनी कलह पार्टी का पीछा नहीं छोड़े रहे हैं। पार्टी में बदलाव की मांग कर रहे बगावती गुट जी-23 के नेता ने एकबार फिर पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा है।

इंडिया टुडे चैनल से बात करते हुए सिब्बल ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने पूछा, ‘कौन सी ऐसी पार्टी है जो बिना पूर्णकालिक अध्यक्ष के काम कर सकती है।’ सिब्बल ने इंटरव्यू में शीर्ष कहा कि साल 2019 से उनकी सोनिया गांधी से बातचीत नहीं हुई है।

कपिल सिब्बल ने कहा, ‘मैं एकसमान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ लाने कर रहा हूं,अलग विचारधारा की पार्टियों को भी जोड़ने की कोशिश कर रहा हूं। कांग्रेस और विपक्ष के बीच पुल बनाने की कोशिश कर रहा हूं। राहुल गांधी भी वही कर रहे हैं। मैं बस यह आशा करता हूं कि कांग्रेस पार्टी में भीतर से ही ऊर्जा का संचार हो और एक आधिकारिक अध्यक्ष हो, जो लोगों की आकांक्षाओं को समझे और पार्टी को आगे लेकर जाए।’

2024 को लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा कौन होगा, इसपर सिब्बल ने कहा, ‘2004 में यह सवाल नहीं पूछा गया था। हम 2009 में भी जीते थे। 2024 में अभी वक्त है। अभी मैंने विपक्ष के साथ चर्चा शुरू की है। कांग्रेस के अंदर भी इसपर चर्चा करेंगे और विपक्षी पार्टियों से बात करके मुद्दे के समाधान की कोशिश की जाएगी।’

अपने जन्मदिन पर विपक्षी दलों के नेताओं को डिनर को लेकर उठ रहे सवालों पर उन्होंने कहा कि मेरा डिनर कांग्रेस के खिलाफ नहीं था, यह गांधी परिवार के समर्थन में था। सिब्बल ने कहा कि वो इस डिनर के जरिए बीजेपी के विकल्प की संभावना तलाश रहे थे। सोमवार को कपिल सिब्बल के इस डिनर में सोनिया और राहुल गांधी की गैरमौजूदगी को लेकर सवाल उठे थे। इस डिनर में विपक्ष के 17 दलों के सूत्रों के मुताबिक, इस डिनर में कुल 17 विपक्षी दल के 45 नेताओं के शामिल होने की वजह से भी अटकलों का बाजार गर्म था।

सिब्बल का डिनर इसलिए अहम माना जा रहा था, क्योंकि इसमें ऐसे दल भी पहुंचे, जो आमतौर पर विपक्षी पाले में दिखाई नहीं देते। शामिल होने वाले दलों में कांग्रेस के अलावा, टीएमसी, एनसीपी, टीडीपी, आरजेडी, टीआरएस, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल, डीएमके, शिवसेना, सपा, सीपीएम, सीपीआई, आप, नेशनल कॉन्फ्रेंस, आरएलडी जैसे दल शामिल थे।

गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी की कार्यप्रणाली को बदलने की मांग कई वरिष्ठ नेता लंबे वक्त से कर रहे हैं। इन नेताओं में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, भूपिंदर हुड्डा, राज बब्बर आदि शामिल है। पार्टी के इस बगावती धड़े ने कुछ महीने पहले जम्मू में एक कार्यक्रम में भी शीर्ष नेतृत्व पर हमला बोला था।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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