महाराष्ट्र के शहरी इलाकों में 17 अगस्त से खुलेंगे स्कूल, 8वीं से 12वीं तक के आएंगे छात्र
कोरोना के मामले कम होने के बाद कई राज्यों में स्कूल खोले जाए चुके हैं। देश के कई राज्यों में सरकारें स्कूल खोले जाने की तैयारी कर रही हैं। इन सबके बीच महाराष्ट्र मंगलवार को महराष्ट्र सरकार ने फैसला लिया है कि शहरी भागों में आठवीं से 12वीं कक्षा तक स्कूल 17 अगस्त () से खोले जाएंगे। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पांचवी से सातवीं कक्षा तक स्कूल 17 अगस्त से खोल दिए () जाएंगे।
दरअसल कोविड-19 के मामले कम होने के बीच कुछ राज्यों में स्कूल खुल रहे हैं। 15 जुलाई से ग्रामीण क्षेत्रों में आठवीं से बारहवीं तक के स्कूल खोले जा चुके हैं। स्कूल खोलने का पैमाना उस शहर में पिछले 1 महीने से कोरोना वायरस दर में लगातार हो रही गिरावट के आधार पर तय किया जाएगा।
शहरी इलाको में कमेटी तय करेगी कहां खोलने हैं स्कूल
शहरी भागों में महानगर पालिका आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी यह तय करेगी जबकि ग्रामीण भागों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी स्कूल किन-किन इलाकों में खोला जाए यह तय करेगी।
मुंबई और ठाणे में अभी नहीं लागू होगा फैसला
मुंबई और ठाणे शहर को इस आदेश से अलग रखा गया है। आदेश में कहा गया है कि दोनों ही महानगरपालिका के आयुक्त इस पर फैसला लेंगे कि स्कूल खोलना है या नहीं।
ज्यादा बच्चे होने पर शिफ्ट में बुलाएं जाएं बच्चे
आदेश के मुताबिक, नियमों का सख्ती से स्कूल को पालन करना होगा। खास तौर पर जिन स्कूलों में बच्चे ज्यादा है उन्हें अलग-अलग समय पर बुलाया जाएगा।
सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी होगा।
एक बेंच पर एक बच्चा..टीचर का वैक्सीनेशन होना जरूरी
क्लास में एक बेंच पर सिर्फ एक बच्चा ही बैठ सकता है। हर बेंच के बीच में करीब 6 फुट की दूरी रहनी चाहिए। बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के कोरोना का टीका लगा हुआ होना चाहिएय़
पैरेंट्स के स्कूल आने पर लगाई जाएगी रोक
वहीं विद्यार्थियों के अभिभावकों को स्कूल में आने पर रोक लगाई जानी चाहिए ताकि भीड़ इकट्ठा ना हो। स्कूल में अगर एक भी बच्चा कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो तुरंत स्कूल बंद करना होगा और पूरे स्कूल का सैनिटाइजेशन करना पड़ेगा।
टीचरों के स्कूल में रहने की व्यवस्था हो तो बेहतर
स्कूल में पढ़ाने के लिए आने वाले शिक्षकों के रहने की व्यवस्था अगर हो सके तो स्कूल या उसके आसपास में की जाए ताकि उन्हें सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर स्कूल ना आना पड़े।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स