' दुनिया बायोलॉजी और कम्प्यूटेशनल साइंस के युग में प्रवेश कर रही', बेनेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोलीं किरन मजुमदार शॉ-

' दुनिया बायोलॉजी और कम्प्यूटेशनल साइंस के युग में प्रवेश कर रही', बेनेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोलीं किरन मजुमदार शॉ-
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ग्रेटर नोएडा
‘रिसर्च बेस इनोवेशन के जरिए हम हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर, लाइवस्टॉक मैनेजमेंट, इंडस्ट्रियल प्रोसेसिंग और पर्यावरणीय स्थिरता को ट्रांसफॉर्म करके आर्थिक विकास को मजबूत कर सकते हैं।’ यह कहना है बायोकॉन इंडिया ग्रुप की चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. का। बेनेट यूनिवर्सिटी के तीसरे दीक्षांत समारोह में पहुंची डॉ. किरन मजुमदार शॉ ने कहा इस सदी के पहले दो दशक इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी से संबंधित थे, लेकिन अब दुनिया बायोलॉजी और कम्प्यूटेशनल साइंस के युग में प्रवेश कर रही है।

बायोकॉन इंडिया ग्रुप की चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. किरन मजुमदार शॉ को बायोटेक्नोलॉजी फील्ड में उनके उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए डॉक्टर ऑफ फिलॉसोफी (Ph.D) की डिग्री प्रदान की गई। डॉ. किरनमजुमदार शॉ को पीएचडी की डिग्री देते हुए बेनेट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. प्रभु अग्रवाल ने कहा कि भारत में किरन मजुमदार शॉ का नाम और बायोटेक्नॉलजी एक दूसरे के समानार्थी हैं। उन्होंने कहा कि मजुमदार शॉ ने अडवांस साइंस, इनोवेटिव टेक प्लैटफॉर्म्स और इंटरनेशनल रिसर्च कोलैबरेशन का फायदा ऐसी थेरेपी को विकसित करने में उठाया जिससे इलाज के खर्चे को कम किया जा सकता है, पहुंच को बढ़ाया जा सकता है, डायबीटीज और कैंसर जैसी बीमारियों के लिए हेल्थकेयर आउटकम को इम्प्रूव किया जा सकता है।

को भी मैनजमेंट फील्ड में उनके उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए डॉक्टर ऑफ फिलॉसोफी की डिग्री प्रदान की गई। बेनेट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. प्रभु अग्रवाल ने कहा कि कॉरपोरेट जगत में नारायणन का उदय कई देशों और संस्कृतियों में फैले FMCG उद्योग में 35 से अधिक वर्षों के उनके समृद्ध और अविश्वसनीय रूप से व्यापक अनुभव को दर्शाता है।

नेस्ले इंडिया के एमडी सुरेश नारायणन ने अपनी इस डिग्री को अपने माता-पिता, पत्नी और बेटी को समर्पित किया। उन्होंने कहा- ‘मैं चेन्नई में अपने माता-पिता के घर पर था जब मुझे इसके लिए कॉल आया और अब जबकि वे दोनों मुझे यह सम्मान मिलता देखने के लिए नहीं हैं, मैं जानता हूं कि उनके लिए शिक्षा की वैल्यू बहुत ज्यादा था। मेरे पिता ने अपनी मध्यम वर्गीय आय के साथ मुझे भारत का एक अच्छा नागरिक बनने के योग्य बनाने के लिए उस समय सबसे अच्छी शिक्षा दी।’

भी दीक्षांत समारोह में स्पेशल गेस्ट के तौर पर मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि असहजता के साथ सहज होने के लिए छात्रों को ग्रैजुएट किया जाता है। उन्होंने कहा- ‘अनिश्चितता, अस्थिरता, अस्पष्टता- यह एकमात्र निश्चितता है जो आपके पास होगी। वे स्किल जो आपको चाहिए होंगे, वे लगातार बदलते रहेंगे। अस्पष्टता और अनिश्चितता से निपटने की आपकी क्षमता आपका सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी लाभ बनने जा रही है और इसलिए मैंने जो स्किल सीखा है, वह है अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर असहजता के साथ सहज होना।’

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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