डॉ. गुलेरिया ने की स्कूलों को खोलने की वकालत, किस तरह खुलें इसका फॉर्म्युला भी सुझाया

डॉ. गुलेरिया ने की स्कूलों को खोलने की वकालत, किस तरह खुलें इसका फॉर्म्युला भी सुझाया
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नई दिल्ली
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को कहा कि जिन इलाकों में कोविड पॉजिटिविटी रेट कम हैं वहां स्कूल फिर खोले जा सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि कम संक्रमण वाले इलाकों की उचित निगरानी के साथ चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोले जा सकते हैं।

डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें संतुलन बनाना होगा। बच्चे बहुत समय से स्कूल नहीं गए हैं और ऐसे तमाम बच्चे हैं जिनके पास कंप्यूटर तक पहुंच नहीं है इसलिए उन्हें क्वॉलिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रही है। लिहाजा स्कूलों का खोला जाना बहुत महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ शिक्षा के लिहाज से ही जरूरी नहीं है बल्कि किसी बच्चे के सामाजीकरण की दृष्टि से भी जरूरी है। वहां बच्चे सामाजिक क्रियाकलाप, साथियों के साथ कैसे बर्ताव करना है यह भी सीखते हैं। स्कूल बड़ी भूमिका निभाते हैं जिसकी भरपाई ऑनलाइन क्लासेज ने नहीं हो सकती।’

एम्स डायरेक्टर ने कहा, ‘अभी हम ऐसी स्थिति में हैं कि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत कम हैं, पॉजिटिविटी रेट और अस्पतालों में भर्ती होने के केस बहुत कम हैं।’

स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की बात करते हुए डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, ‘हमें चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को खोलने के बारे में सोचना शुरू करना चाहिए। वे इलाके जहां संक्रमण दर कम हैं, वहां से इसकी शुरुआत की जा सकती है।’

डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘हम इसे ऑल्टरनेट तरीके से कर सकते हैं ताकि भीड़ कम हो। हम निगरानी कर सकते हैं, बच्चों पर नजर रखी जा सकती है। अगर उनमें किसी तरह का लक्षण है तो वे घर रह सकते हैं। अगर पॉजिटिविटी रेट का कम रहना बरकरार रहता है तो स्कूलों को जारी रखा जा सकता है और अगर यह बढ़ता है तो स्कूलों को बंद किया जा सकता है।’

कोरोना के डेल्टा वेरिएंट पर गुलेरिया ने कहा, ‘जहां तक डेल्टा प्लस की बात है तो हमें और ज्यादा आंकड़ों की जरूरत है। डेल्टा प्लस डेल्टा वेरिएंट से ही पैदा हुआ है इसलिए यह एकदम से अलग वेरिएंट नहीं है। फिलहाल जो डेटा उपलब्ध हैं उनके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि यह और भी ज्यादा संक्रामक है। जहां कहीं भी डेल्टा प्लस के मामले सामने आ रहे हैं वहां केस एकदम से नहीं बढ़ रहे। डेटा इस ओर भी इशारा नहीं कर रहे कि इससे हॉस्पिटलाइजेशन के केस बढ़ रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि यह और ज्यादा खतरनाक है लेकिन हमें इस पर नजर रखने की जरूरत है।’

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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