ग्राउंड रिपोर्ट: 'जम्मूतवी स्टेशन पर टेस्ट कराया, कोरोना रिपोर्ट ली…वैष्णो देवी यात्रा में चेक ही नहीं हुई'

ग्राउंड रिपोर्ट: 'जम्मूतवी स्टेशन पर टेस्ट कराया, कोरोना रिपोर्ट ली…वैष्णो देवी यात्रा में चेक ही नहीं हुई'
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जम्मू
जम्मूतवी रेलवे स्टेशन पर कतार लगी है। दोपहर के करीब 12 बजे का वक्त है, लाइन में लगे लोग अभी-अभी बेगमपुरा एक्सप्रेस से उतरे यात्री हैं, जिन्हें यहां पर मेंडेटरी कोविड टेस्ट कराने के बाद ही एंट्री दी जानी है। करीब 4-5 लाइन में लगे लोगों के बीच आधे वो लोग हैं, जिन्होंने मास्क नहीं लगाया है और अधिकतम वो जो शनिवार के इस रोज वैष्णो देवी की यात्रा के लिए आए हैं। उत्तर भारतीय लोगों की इस जमात में पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और यूपी के लोग हैं।

लखनऊ के कृष्णानगर के निवासी सुरेश वर्मा अपनी पत्नी मंजू के साथ वैष्णो देवी की यात्रा पर आए हैं और इस इंतजाम को संतुष्टप्रद मानते हैं कि यहां आने से पहले लोगों का कोविड टेस्ट कराया जा रहा है। हालांकि सुरेश उन लोगों पर हैरानी भी जताते हैं, जो दर्जनों की इस भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग तोड़ते खड़े हैं और स्टेशन पर खड़े पुलिस वाले भी उन्हें कोई खास तरजीह नहीं देते।

कोविड गाइडलाइन का पालन नहीं
सुरेश कहते हैं, ना जानें लोग मास्क क्यों नहीं लगाते…हजारों लोग रोज आ रहे हैं..मान लीजिए कोई भी संक्रमित हुआ और वो वैष्णो देवी की भीड़ में गया तो कितनों को संक्रमित करेगा। यहां ना भी हो, अगर वहां किसी लोकल से इंफेक्शन ले आया और ऐसे बिना मास्क घूमे तो क्या होगा?’ सुरेश की बात पर हैरानी जताते लाइन में मेरे पीछे खड़े दो तीन झट से मास्क लगा लेते हैं…लेकिन और सब पर कोई असर नहीं होता।

समझिए क्या है प्रोसिजर?
कोविड का टेस्ट करने की प्रक्रिया से पहले यात्री को नाम और मोबाइल नंबर बताना होता है। इसके बाद आप जहां से आए वो और जहां जाना है वो जगह बतानी होती है। अगर आप वैष्णो देवी जाने को आए हों तो स्टेशन के रूम नंबर 5 जो कि एक पुलिस अधिकारी का कमरा है, वहां से एक पर्ची मिलती है…फिर स्टेशन की सीढ़ियों से बाहर बनेकोविड का टेस्ट करने की प्रक्रिया से पहले यात्री को नाम और मोबाइल नंबर बताना होता है। इसके बाद आप जहां से आए वो और जहां जाना है वो जगह बतानी होती है।

इस अहम पर्ची के जरीए ही हो सकते हैं दर्शन
टूरिस्ट रिसेप्शन काउंटर पर इसी पर्ची के सहारे एक फॉर्म मिलता है। इसमें डिटेल्स खुद भरनी होती है और फिर वहां खड़ा ऑफिसर इसपर मोहर मारकर कहता है, ‘इस रिपोर्ट को दिखाओगे तो ही आपने मंदिर में एंट्री मिलनी है।’ साथ मौजूद तमाम यात्री रिपोर्ट को बड़े करीने से संभाल कर रखते हैं। संभालना मतलब कोई पॉकेट के पैसों के साथ, कोई पत्नी के पर्स में, कोई सामान वाले झोले में तो कोई ऐसे रखता है, जैसे रिपोर्ट खो गई तो माता के दर्शन से वंचित रह जाएंगे। स्टेशन पर कोरोना का डर तो नहीं है, लेकिन दूसरे प्रदेशों से आए लोग बस इस बात से डरते हैं कि कोरोना की किसी रिपोर्ट के ना होने पर अगर दर्शन से रोक दिया गया तो क्या करेंगे। हालांकि इस बात का ध्यान रखने वाले लोग 20 फीसदी दिखते हैं, जो मास्क लगाकर ही स्टेशन की भीड़ में खड़े हों।

जम्मू के बस स्टैंड पर बस मिलने में परेशानी
जम्मूतवी स्टेशन से जुदा हालात जम्मू के बस स्टैंड के सामने भी नहीं हैं। कोरोना के नियम लागू कराने की एक होर्डिंग लगी है, लेकिन भीड़ में लागू कराना मुसीबत है। बस स्टैंड के सामने की एक दुकान पर पूछने पर दुकानदार कहता है- कटड़ा वास्ते बस चाहिए तो आप अग्गे केसी प्लाजा तक जाओ, उधर से फ्लाईओवर के नीचे बस और छोटी गाड़ी दोनों मिल जानी है। करीब 600 मीटर की दूरी के बाद केसी प्लाजा के सामने तमाम गाड़ियां खड़ी मिलती हैं, लोकल छोटी बसें जिन्हें स्थानीय लोग मेटाडोर कहते हैं और रियासी, रामबन, उधमपुर जाने वाली प्राइवेट व सरकारी बस।

पेट्रोल के बढ़े दामों का किराए पर दिखता है साफ असर
कटड़ा जाने के लिए तमाम वाहन मिलने का दावा है, लेकिन यात्रियों की बड़ी संख्या के बीच शनिवार के दिन बसों की संख्या कम है। जो एकाध बस आती हैं, वो 50 फीसदी कैपिसिटी के साथ परिचालन के दावे को मुंह चिढ़ाती हैं और ठसाठस होने के बाद मनमाने किराए के साथ चलने लगती हैं। कटड़ा से जम्मू की कुल दूरी करीब 46 किलोमीटर है। कुछ महीनों पहले इस रूट पर बस का किराया 60 से 80 रुपये तक था। अब बस वाले 100 से 160 रुपये तक चार्ज कर लेते हैं। एक यात्री की आपत्ति पर कहते हैं, कोरोना में गाड़ी बंद थी। अब पेट्रोल 101 रुपये हो गया है…बैठना हो बैठो, वरना उतर जाओ।

‘कोरोना रिपोर्ट कहां-कहां मांगी जा रही’
कटड़ा बस स्टैंड पर भीड़ का आलम वही है। बस स्टेशन पर होटल दिलाने के लिए यात्रियों को खोज रहे बलबीर मंगोत्रा कहते हैं, उनके पास 500 वाला कमरा भी है और 5000 वाला भी। मैंने सवाल किया…’कोरोना रिपोर्ट कहां-कहां मांगी जा रही’…बलबीर कहते हैं …आपने टेस्ट कराया है ना सरजी… चलो ना…चंगा रूम दिलाना है मैंने वन थाउजेंड में एसी वाला…एकदम सामने…। हालांकि जिस कोरोना रिपोर्ट को अनिवार्य रूप से यहां लेकर ही आने को कहा गया है..कटड़ा के स्थानीय होटल्स में इसे चेक करने का कोई खास बंदोबस्त नहीं है।

‘कोरोना रिपोर्ट को चेक करने वाला कोई नहीं’
शाम के वक्त बाणगंगा की चेकपोस्ट पर वैष्णो देवी यात्रियों की भारी भीड़ दिखती है। मैं जनवरी के महीने में जब यहां आया था तो इस चेकपोस्ट पर लोगों के शरीर का तापमान चेक करने के लिए वॉलिंटियर्स की तैनाती थी। हालांकि इस बार ऐसा नहीं है। लाइन में लगे दर्जनों लोग बिना मास्क दिखते हैं। चेक पोस्ट पर बने पर्ची चेकिंग के काउंटर पर भी इस बार कोई नहीं है, ना यहां पर कोई ऐसा दिखता है जो कि कोरोना रिपोर्ट को चेक करने वाला हो।

भीड़ तोड़ रही है सारे कोरोना के नियम
अपने बैग को एक्स-रे मशीन से कलेक्ट किए हुए कानपुर से आए योगेश शुक्ला कहते हैं, ‘मैं कानपुर की एक प्राइवेट लैब से टेस्ट कराकर आया हूं, स्टेशन पर भी टेस्ट हुआ है…रिपोर्ट लेने के लिए आधा घंटा लाइन में भी खड़ा रहा…यहां तो रिपोर्ट चेक करने तक को कोई नहीं।’ दिल्ली के बुराड़ी की रहने वाली मेघा अरोड़ा भी अपनी मां के साथ आए चेक पोस्ट पर खड़ी भीड़ को देखकर हतप्रभ हैं, खासकर ये कि मास्क लगाने वाले लोगों की संख्या 70 फीसदी से ज्यादा है। यात्रा ट्रैक के रास्तों पर बनी दुकानों पर फोटो खिंचाने के लिए लगी भीड़ से लेकर खाने-पीने के सामानों की दुकान तक…कोरोना के नियम कहीं नहीं हैं।

दुकानों के बाहर भी दिखती है भारी भीड़
चरण पादुका मंदिर में लाइन, अर्धकुंवारी मंदिर और पिट्ठुओं के स्टैंड तक…लोग भीड़ में आगे बढ़ते दिखते हैं। यात्रा ट्रैक पर बनी एक सीढ़ी पर खाने-पीने का सामान बेचने वाले एक दुकानदार ने कहा कि भीड़ लोकल लोगों के कारण बढ़ी है, जो शनिवार-रविवार के दिनों में दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के रास्ते पर बरसते पानी के बीच श्राइन बोर्ड की ओर से संचालित ‘समीर’ नाम की एक दुकान के बाहर लोगों की भारी भीड़ लगी दिखती है।

सोशल डिस्टेंसिंग का कहीं नहीं दिखता पालन
मंदिर के मुख्य भवन तक पहुंचने पर ये भीड़ और बढ़ती है। मुख्य भवन परिसर के मनोकामना भवन के बाहर से ही कतार लगी है कि लोग प्रसाद ले पाएं। भीड़ जैसे हजारों में हो। आगे कुछ दूरी पर मंदिर के दर्शन की लाइन में 200 से अधिक लोग दिखते हैं वो भी रात के करीब 12 बजे। सुबह ये संख्या और बढ़ती है। लाइन में लगे लोगों के बीच कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता नहीं दिखता। भीड़ में दर्शन की तस्वीरों में बच्चे भी हैं, महिलाएं भी, बुजुर्ग भी और नौजवान भी।

मंदिर के मुख्य भवन तक कोई रिपोर्ट चेक नहीं की जाती
ये लोग कोरोना की दूसरी लहर की पीक बीतने के 2 महीनों बाद यहां पर आए हैं। लोग लापरवाह दिखते हैं। आस्था के इस मंदिर में हर शनिवार रविवार 20 हजार के आसपास लोग दर्शन करने आ रहे हैं, लेकिन इनमें से कितनों के पास कोरोना की सही रिपोर्ट है, ये बताना मुश्किल है। स्थितियां कागजों पर नियमों की हैं। दूसरे राज्य से आए यात्रियों से रास्ते भर से लेकर मंदिर के मुख्य भवन तक कोई रिपोर्ट चेक नहीं की जाती।

उठे हैं कई बड़े सवाल
यात्रा ट्रैक पर जयपुर के जोतवारा इलाके के निवासी भीम सिंह कहते हैं कि वो पूजा एक्सप्रेस से जम्मू आए थे लेकिन उनका कोई कोरोना टेस्ट नहीं हुआ। सवाल है कि क्या किसी स्पेशल ट्रेन से आने वालों के ही टेस्ट हो रहे हैं? एक सवाल ये भी कि वैष्णो देवी आ रहे हजारों लोगों के बीच रिपोर्ट की अनिवार्यता के बावजूद इसे चेक क्यों नहीं किया जा रहा? ये प्रश्न बड़ा है कि अगर बसों से लेकर यात्रा ट्रैक पर बेतहाशा भीड़ बढ़ रही है, तो पहले की तरह ट्रैक पर दर्शनार्थियों की सीमा का कोटा निर्धारित कर भीड़ नियंत्रित क्यों नहीं की जा रही है?

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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