तारीख पर तारीख की हकीकत तब पता चलेगी…जब सुप्रीम कोर्ट के जज को आया गुस्सा
सुप्रीम कोर्ट ने वकील की तरफ से केस में तारीख मांगे जाने पर सख्त ऐतराज जताया है। कोर्ट ने कहा है कि वकीलों की तरफ से तारीख मांगे जाने का सही जवाब कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग ही है ताकि लोगों को पता चलेगा कि कौन समय ले रहा है और क्यों मामले में तारीखें लग रही है। 2018 में दाखिल एक मामले में वकील की तरफ से तारीख की मांग पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच में मामले से जुड़े वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले में अगली तारीख दे दी जाए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने जब कारण पूछा तो बताया गया कि दलील देने वाले वकील बीमार हैं ऐसे में तारीख दी जाए। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप खुद दलील नहीं दे सकते तो उन्होंने कहा कि वह तैयारी के साथ नहीं आए हैं और वह कोर्ट को सहयोग नहीं कर पाएंगे। तब एओआर (एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड ) के बारे में पूछा गया तो कहा गया कि वह भी दलील देने की स्थिति में नहीं हैं।
इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हजारों केस पेंडिंग हैं। कौन कहेगा कि केस इसलिए पेंडिंग है क्योंकि दलील देने वाले वकील दलील नहीं दे रहे हैं। वकील अपने जूनियर का इस्तेमाल करते हैं और जूनियर दलील के लिए तैयारी में नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में कोर्ट निसहाय हो जाती है। एक ही उपाय है कि एक पक्षकार का सुनकर फैसला दे दिया जाए लेकिन कोर्ट ऐसा नहीं करना चाहती है। तारीख के लिए इस तरह के गेम खेले जाते हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि जब लाइव स्ट्रीमिंग होगी तो समाज में बैठे लोग देखेंगे कि क्यों तारीखें लग रही है। जज साढ़े 10 बजे से लेकर 4 बजे तक कोर्ट में सुनवाई के लिए बैठते हैं और वह पूरी तैयारी के साथ आते हैं। इस दौरान कई मामलों में सिर्फ तारीखें मांगी जाती है जबकि अदालत चाहती है कि मामले में सुनवाई हो। मुकदमें में देरी की जिम्मेदारी किस पर है। सिर्फ कोर्ट पर? या फिर वकील पर? हम हर रात केस को पढ़ते हैं और मामले को देखकर आते हैं। लेकिन तारीख लगने के कारण कोई रिजल्ट नहीं होता है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स