दो साल बाद भी PM मोदी ने नहीं बढ़ने दिया CM नीतीश का 'भाव', समझिए कैसे

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

पटना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौजूदा सरकार के करीब दो साल पूरे होने पर मंत्रिमंडल विस्तार किया है। कुल 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। मंत्रिमंडल विस्तार में एनडीए के घटक दल जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) के एक मात्र नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP) सिंह को जगह मिली है। मोदी कैबिनेट में एक मात्र मंत्री पद के साथ जेडीयू का शामिल होना चौंकाने वाली बात है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2019 में पीएम मोदी की ओर से केंद्रीय कैबिनेट में एक मंत्री पद के ऑफर को ठुकरा दिया था। उस समय कहा गया था कि जेडीयू मजबूती के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होगी, लेकिन दो साल बाद भी ऐसा नहीं हो पाया है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू के एक मात्र नेता के शामिल होते ही साफ हो चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र की राजनीति में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं हैं।

नीतीश कुमार ने 50-50 का दिया था फॉर्म्यूलासाल 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू को एक केंद्रीय मंत्री का पद ऑफर किया गया था। इसके बाद तत्कालीन जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू बिहार की 40 में से 17-17 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें से नीतीश की पार्टी को 16 और पीएम मोदी के दल को 17 सीटें आई थीं। एनडीए की अन्य घटक दल एलजेपी सभी 6 सीटें जीती थी।

नीतीश कुमार का कहना था कि चुनाव में सीट बंटवारे की तरह केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी दोनों दलों की सहभागिता 50-50 फॉर्म्यूले पर होगी। 2019 में सरकार गठन के दौरान पीएम मोदी ने कैबिनेट गठन के दौरान नीतीश कुमार की यह शर्त मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद नीतीश कुमार ने ऐलान किया था कि जेडीयू सरकार में शामिल नहीं होगी।

ये भी पढ़ें-

दो साल बाद मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ है। माना जा रहा था कि इस बार जेडीयू अपने तीन या इससे ज्यादा नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करा लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है।

ये भी पढ़ें-

दो साल पुरानी डील पर क्यों तैयार हुए नीतीश?नीतीश कुमार के राजनीतिक फैसलों पर नजर डालें तो यह बात स्पष्ट है कि वह जब भी किसी के साथ गठबंधन करते हैं तो हमेशा बराबरी की हिस्सेदारी चाहते हैं। अपने राजनीतिक करियर में शायद ही कोई मौका हो जब नीतीश कुमार ने किसी दल के साथ कोई डील की हो और वह उसमें छोटे भाई की भूमिका में दिखे हों। यह पहला मौका है जब नीतीश कुमार डील में झुके हुए दिख रहे हैं।

नीतीश कुमार से जब मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने सीधे-सीधे कन्नी काट ली। उन्होंने साफ तौर से कहा कि 2019 में वह जेडीयू अध्यक्ष थे इसलिए वह फैसला ले रहे थे कि पार्टी केंद्र सरकार में शामिल होगी या नहीं। इस वक्त आरसीपी सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं इसलिए इस तरह के फैसले लेने के लिए वही अधिकृत हैं।

तो क्या अपनी CM कुर्सी बचाने के लिए पुरानी डील पर तैयार हुए नीतीश?2019 के लोकसभा चुनाव में भले ही जेडीयू बीजेपी से केवल एक सीट पीछे रही थी, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में परिणाम बिल्कुल ही उलट गए थे। एनडीए गठबंधन में बीजेपी 74 सीटों के साथ नंबर वन पार्टी बनी जबकि जेडीयू को 43 सीटों से संतोष करना पड़ा था। चुनाव परिणाम में जेडीयू के तीसरे नंबर की पार्टी होने के बाद भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया गया है। माना जाता है कि बीजेपी का बिहार नेतृत्व कतई नहीं चाहता था कि मुख्यमंत्री का पद जेडीयू के पास जाए। बीजेपी की केंद्रीय नेतृत्व की दखल के चलते नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी पर बैठाया गया। यह बात खुद नीतीश कुमार भी पत्रकारों के सामने कबूल कर चुके हैं।

ये भी पढ़ें-

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या नीतीश कुमार बिहार में अपनी सीएम की कुर्सी बचाने के लिए केंद्र में एक मात्र मंत्री पद से संतुष्ट हो गए हैं। पिछले कुछ दिनों से बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल कई मौकों पर सीएम नीतीश के मनमाने रवैये पर सवाल उठा चुके हैं। इसके अलावा डेप्युटी सीएम और बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता तारकिशोर प्रसाद सिंह भी पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने कबूल कर चुके हैं बिहार की मौजूद सरकार में बीजेपी की छाप नहीं दिख रही है।

मोदी कैबिनेट में बिहार के कौन-कौन नेता?
2019 में जब मोदी कैबिनेट का गठन हुआ था तब बिहार से रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, अश्विनी चौबे, आरके सिंह और रामविलास पासवान को मंत्री बनाया गया था। रामविलास पासवान का निधन हो चुका है। वहीं रविशंकर प्रसाद से इस्तीफा ले लिया गया है। यानी अब मोदी मंत्रिमंडल में अब बिहार से केवल गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, आरके सिंह और अश्विनी चौबे बचे हैं। वहीं इस लिस्ट में दो नए चेहरे पशुपति कुमार पारस और आरसीपी सिंह का नाम जुट गया है। मंत्रिमंडल विस्तार में आरके सिंह के कद में वृद्धि की गई है।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.