567 दिनों बाद बरी हुए अखिल गोगोई बोले- UAPA का हो रहा गलत इस्तेमाल, मैं उदाहरण हूं

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गुवाहाटी
असम के विधायक अखिल गोगोई (
) ने विशेष एनआईए अदालत के जांच एजेंसी की ओर से लगाए गए सभी आरोपों से उन्हें बरी करने को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया। अखिल गोगोई ने शुक्रवार को कहा कि उनका मामला सबूत है कि यूएपीए और एनआईए अधिनियम का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है।

शिवसागर से निर्दलीय विधायक गोगोई ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआई) को बीजेपी नीत केंद्र सरकार का ‘राजनीतिक हथियार’ करार देते हुए कहा कि यह फैसला उन लोगों के लिए मील का पत्थर साबित होगा जिन्हें इन दो आतंकवाद रोधी कानूनों का कथित दुरुपयोग कर गिरफ्तार किया गया है।

567 दिनों के बाद हुई अखिल गोगोई रिहाई
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी कार्यकर्ता गोगाई ने 567 दिनों के बाद हुई रिहाई के बाद कहा,’मेरा मामला गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम और एनआईए अधिनियम के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग को साबित करता है। यह फैसला उन लोगों के लिए मील का पत्थर साबित होगा जिन्हें इन दो कानूनों का दुरुपयोग कर गिरफ्तार किया गया है।’

‘ED और CBI की तरह ‘राजनीतिक एजेंसी’ बनी गई NIA’
गोगोई को राज्य में सीएए विरोधी आंदोलन के समय हुई हिंसा में कथित भूमिका के आरोप में 12 दिसंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें बृहस्पतिवार को रिहा किया गया। उन्होंने कहा कि विशेष एनआईए अदालत का फैसला ऐतिहासिक है क्योंकि यह एनआईए का पर्दाफाश करता है जो सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की तरह ‘राजनीतिक एजेंसी’ बन गई है।

गो तस्करी और माओवादी शिविर में प्रशिक्षण के फर्जी आरोप-अखिल
अखिल गोगोई ने कहा कि यहां तक कि बृहस्पतिवार को भी एनआईए नए मामले दर्ज करना चाहती थी लेकिन अपील के साथ जब वह अदालत गई तब तक फैसला आ चुका था। एनआईए द्वारा 29 जून को जमा अतिरिक्त आरोप पत्र पर गोगोई ने कहा, ‘मोहपाश, गो तस्करी और माओवादी शिविर में प्रशिक्षण के फर्जी आरोप लगाए गए।’

BJP में शामिल होने पर की गई जमानत की पेशकश-
अखिल गोगोई
रायजोर दल के प्रमुख गोगाई ने आरोप लगाया कि एनआईए ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) या भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने पर तुरंत जमानत देने की पेशकश की थी। इसी तरह के आरोप उन्होंने मई में जेल से लिखी चिट्ठी में भी लगाए थे।

‘RSS में शामिल होने पर 10 दिन के भीतर रिहा कर दिया जाएगा’
अखिल गोगोई ने दावा किया, ‘जब उन्होंने मुझे हिरासत में लिया तो केवल यह पूछा कि क्या मैं आरएसएस में शामिल होना चाहूंगा। एक बार भी उन्होंने ने माओवादियों से कथित संबंध के बारे में नहीं पूछा। मेरे सीआईओ डीआर सिंह ने कभी लाल विद्रोहियों (माओवादियों) के बारे में पहले कभी बात नहीं की। उन्होंने कहा कि अगर मैं आरएसएस में शामिल होता हूं तो 10 दिन के भीतर मुझे रिहा कर दिया जाएगा।”

अखिल का आरोप-मंत्री बनाने की हुई पेशकश
गोगोई ने कहा, ‘जब मैंने इसका नकारात्मक जवाब दिया, तब उन्होंने मुझे बीजेपी में शामिल होने और मंत्री बनने की पेशकश की। मैंने उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया। इसपर उन्होंने कहा कि मैं अगले 10 साल तक जेल में रहूंगा।’ उन्होंने कहा कि विशेष एनआईए अदालत का फैसला न्यायपालिका में ‘अहम मोड़’ है और यह दिखाता है कि ‘कार्यपालिका का दबाव’ स्थायी नहीं होता।

जेल में रहते हुए चुनाव जीतने वाले असम के पहले MLA हैं अखिल
गौरतलब है कि विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रंजल दास ने फैसले में टिप्पणी कि ‘घेराबंदी की बात करने’ से देश की आर्थिक सुरक्षा को धमकी देने का संकेत नहीं मिलता या ‘आतंकवादी कृत्य’ नहीं है। गोगोई असम विधनसभा के पहले सदस्य हैं जिन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव जीता और विधायक बने। राज्य विधानसभा के लिए हाल में चुनाव संपन्न हुए हैं।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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