अगले महीने 920 बच्चों पर कोवोवैक्स का ट्रायल शुरू करेगा सीरम इंस्टीट्यूट, जानें कब आएगा बच्चों का टीका
कोरोना महामारी से बच्चों के बचाव को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बड़ा कदम उठाने जा रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट अगले महीने से ‘कोवोवैक्स’ वैक्सीन (Covovax) का ट्रायल बच्चों पर करने जा रहा है। इसमें 920 बच्चों (12-17 और 2-11 आयु वर्ग) पर कोवोवैक्स के स्टेज 2 और 3 का ट्रॉयल शुरू करने की तैयारी है। उधर, सीरम जल्द ही ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी के लिए आवेदन कर सकती है।
अमेरिकी बायोटेक्नॉलजी कंपनी नोवावैक्स की ओर से पिछले साल सितंबर में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से कोरोना वैक्सीन बनवाने का समझौता किया था। नोवावैक्स की कोरोना वैक्सीन भारत में कोवोवैक्स के नाम से बन रही है। सितंबर तक सीरम इस वैक्सीन को भारत में लॉन्च करने की योजना बना रहा है। भारत में उसका ब्रिजिंग ट्रायल अंतिम दौर में है। हालांकि, बच्चों पर इसका अलग से क्लिनिकल ट्रायल होगा और उसमें सबकुछ ठीक होने के बाद ही यह बच्चों के लिए उपलब्ध होगी।
अगले महीने 10 जगहों पर होगा ट्रायल
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से अनुमति लेने के बाद हम अगले महीने 10 जगहों पर 920 बच्चों में पीडियाट्रिक ट्रायल शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
छह महीने तक होगी निगरानी
पूनावाला ने बताया कि पुणे में भारती अस्पताल और केईएम अस्पताल की वाडु शाखा उन 10 जगहों में शामिल हैं जहां पीडियाट्रिक ट्रायल किया जाएगा। कोवोवैक्स की दो खुराक के साथ टीका लगाने के बाद 21 दिनों के अलावा छह महीने तक उनकी निगरानी की जाएगी।
ऐसे शुरू होगा ट्रायल
पूनावाला ने कहा कि ट्रायल डिजाइन के अनुसार पहले 12-17 आयु वर्ग के बच्चों पर किया जाएगा, उसके बाद 2-11 आयु वर्ग के बच्चों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम उम्र के विपरीत क्रम में ट्रायल शुरू करेंगे। 12-17 आयु वर्ग के बच्चों को पहले शॉट दिए जाएंगे और बाद में 2-11 आयु वर्ग के बच्चों को। पूनावाला ने कहा कि SII लाइसेंस के लिए एडवांस क्लीनिकल ट्रायल के तीन महीने बाद सुरक्षा और इम्युनिटी पर अंतरिम ट्रायल ब्योरा पेश करेगा। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के नई गाइडलाइंस के अनुसार, कंपनी ग्लोबल टेस्ट रिजल्ट के आधार पर, ट्रायल के पूरा होने से पहले वैक्सीन के लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकती है।
कैसे काम करती है कोवोवैक्स
अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स की कोविड वैक्सीन कोवोवैक्स कोरोना वायरस के उस जीन से बनाई गई है जिससे स्पाइक प्रोटीन बनता है। दरअसल स्पाइक प्रोटीन से ही वायरस इंसानी शरीर में संक्रमण फैलाता है। वायरस के इस जीन को कीड़े-पतंगों को संक्रमित करने वाले बेकुलोवायरस में डाला गया। इन बेकुलोवायरस को तितलियों के सेल्स में डालकर ऐसे प्रोटीन पैदा किए गए जो दिखने में कोरोना के स्पाइक प्रोटीन जैसे थे। इसी प्रोटीन को कोवोवैक्स में इस्तेमाल किया गया है। यह वैक्सीन शरीर में जाकर कोरोना से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम को तैयार करती है।
कितनी डोज में आती है
इस वैक्सीन की दो डोज आती हैं जिन्हें एक महीने के अंतराल पर लेना होता है। नोवावैक्स को उम्मीद है कि वह इस साल आखिर तक 15 करोड़ टीके प्रतिमाह बना लेगी।
किस हद तक असरदार है
यूके में हुए ट्रायल के मुताबिक, दूसरी डोज के एक हफ्ते बाद ही यह 90% तक सुरक्षा देने लगती है। इस तरह यह अमेरिका और यूरोपीय देशों में इस्तेमाल हो रही फाइजर-बायोनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन के टक्कर की है जो फेज-3 ट्रायल में क्रमशः 91.3 प्रतिशत और 90 प्रतिशत असरदार मिली थीं। वहीं गंभीर बीमारी से बचाने में सौ फीसदी कारगर है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल भी कह चुके हैं कि इस टीके के नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले हैं।
भारत में कब तक आएगी
भारत में इसका ब्रिजिंग ट्रायल अंतिम दौर में है। ब्रिजिंग ट्रायल का मतलब भारतीयों पर इसके असर को परखना है। अगले महीने देश में बच्चों पर भी कोवोवैक्स का क्लिनिकल ट्रायल शुरू होने वाला है। भारत में सितंबर तक इसके लॉन्च होने की अटकलें हैं।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स