25 दिन वेंटिलेटर पर, फिर आईसीयू में रहे भर्ती… बिहार के पुरुषोत्तम ने 66 दिनों के बाद कोरोना को दी मात

25 दिन वेंटिलेटर पर, फिर आईसीयू में रहे भर्ती… बिहार के पुरुषोत्तम ने 66 दिनों के बाद कोरोना को दी मात
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रांची
ने 66 दिनों बाद कोविड-19 को मात देने में सफलता हासिल की है। इस दौरान 57 दिनों तक में सबसे लंबे समय तक भर्ती रहने वाले कोरोना संक्रमित मरीज रहे। 57 दिनों में से 25 दिन वे सिर्फ वेंटिलेटर पर रहे, बाकी दिन ऑक्सिजन सपोर्ट और आईसीयू में भर्ती रहे।

34 वर्षीय पुरुषोत्तम कुमार रेलवे कर्मचारी हैं और उनकी पोस्टिंग मुंगेर में है। 22 अप्रैल को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी, जिसके 27 अप्रैल को वे नवादा के एक अस्पताल में भर्ती रहे, जहां सीटी स्कैन रिपोर्ट में उनका स्कोर 17/25 आया था। 30 अप्रैल तक वे नवादा के अस्पताल में ही भर्ती रहे, उस समय उनको 2 से 3 लीटर ऑक्सिजन की जरूरत होती थी। 30 अप्रैल के बाद उनका ऑक्सिजन लेवल गिरने लगा और बुखार लगातार रहता था। नवादा के डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि वे किसी हायर सेंटर चले जाएं, उस समय किसी भी मरीज के लिए ज्यादा ऑक्सिजन का इंतजाम कर पाना लगभग वहां मुश्किल था।

2 मई को रांची सदर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हुए पुरुषोत्तम
दूसरी वेब के दौरान बेड भी मुश्किल से मिल रहे थे। इस बीच उन्होंने रांची में अपने किसी परिचित के माध्यम से एक प्राइवेट अस्पताल में बेड का पता किया और 30 अप्रैल को वहां भर्ती हुए, लेकिन वहां पर भी ऑक्सिजन की भारी किल्लत थी और रोज का खर्च भी 20 से 25 हजार आ रहा था। इस बीच सदर अस्पताल के डॉ. अजीत कुमार से उनके परिजन संपर्क में आए और पुरुषोतम को 2 मई को रांची सदर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया। वहां उनकी तुरंत रेमडेसीविर और अन्य जरूरी दवाइयां शुरू की गईं।

ऐसे दिन व दिन चला पुरुषोत्तम का इलाज
शुरुआती दिनों में कुछ सुधार के बाद पुरुषोत्तम के स्वास्थ्य में दोबारा गिरावट आने लगीं। तब उन्हें एनआईवी- नॉन इंवेसीव वेंटिलेटर पर डालना पड़ा। जिस पर वह कम से कम 25 दिन तक रहे। वेंटिलेटर का मैनेजमेंट एवं केयर अपने आप में एक चैलेंजिंग टास्क होता है लेकिन सदर अस्पताल के चिकित्सकों और कर्मियों ने उसको स्वीकार किया। बीच में दो-तीन बार ऐसा हुआ कि उनका ऑक्सिजन लेवल घट के वेंटिलेटर पर भी 55-60 आ गया, तब रात में डॉक्टरों ने उन्हें जाकर देखा तो उनका ब्रीडिंग पैटर्न बहुत खराब चल रहा था। वह गैस्पिंग मोड (सांस उखड़ रही थी) में थे और उनकी हालत खराब हो रही थी। तुरंत उनकी एसीबी जांच कराने की जरूरत थी जोकि सदर सदर अस्पताल में उस समय नहीं हो रही थी। तुरंत उसे प्राइवेट से जांच कराया उसके बाद उसी अनुसार दवा चलाया गया।

सदर असपताल में कार्यरत सभी आईसीयू के डॉक्टर रात 3-4 बजे तक उस केस को लेकर चिंतित रहे और डिस्कस करते रहे। अंततः चिकित्सकों के परिश्रम का सुखद फल मिला और 3 दिन की मेहनत के बाद मरीज का ऑक्सिजन लेवल दोबारा 90 के ऊपर आने लगा। फिर धीरे-धीरे चिकित्सकों ने उन्हें एनआईवी से हटाकर हाई फ्लो ऑक्सिजन पर रखा, जिसमें 20 लीटर ऑक्सिजन लगती थी। 10-12 दिन के बाद उन्हें नॉर्मल ऑक्सिजन पर 8 से 10 लीटर पर ले आए। इसको धीरे-धीरे घटा के अंततः 2 लीटर पर वो आ गए।

शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज हुए पुरुषोत्तम
शुक्रवार को डॉक्टरों ने उन्हें घर जाने की इजाजत दे दी। डॉक्टरों ने उन्हें घर जाने के साथ ही यह भी सलाह दी है कि वह लगातार ऑक्सिजन मॉनिटर करते रहेंगे और उनकी ओर से बताई गई सावधानी और निगरानी बरतें। जरूरत पड़ने पर फोन से संपर्क करके सलाह लेते रहें। रांची सदर अस्पताल में इतने लंबे समय तक भर्ती रहने वाले और ठीक होकर जाने वाले पुरुषोत्तम पहले मरीज हैं। उन्होंने इस पूरे इलाज के लिए डॉ अजीत तथा आईसीयू की पूरी टीम- डॉ पंकज ,डॉ अंशुमन, डॉ नीरज, डॉ राजकुमार, डॉ पवन ,डॉ अभिनव ,आईसीयू के वेंटिलेटर टेक्नीशियन, नर्सेज, सफाई कर्मचारी और पूरे सदर अस्पताल के प्रबंधन के प्रति आभार व्यक्त किया।

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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