महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वैरिएंट का खौफ, फैलने से रोकने के लिए जारी की गई नई गाइडलाइंस
महाराष्ट्र में कोविड-19 के डेल्टा प्लस वैरिएंट () मामले बढ़ने से रोकने के लिए राज्य सरकार ने शुक्रवार को नये दिशानिर्देश जारी किए हैं। उद्धव ठाकरे सरकार ने कहा है कि रैपिड एंटीजन या अन्य जांच के बजाय आरटी-पीसीआर जांच के आधार पर पाबंदियों को घटाया-बढ़ाया जाएगा। सरकार ने डेल्टा प्लस वैरिएंट (Delta Plus Varient News) को चिंता का विषय बताया।
एक सरकारी अधिसूचना के तहत जारी नये दिशानिर्देशों के मुताबिक, प्रशासनिक ईकाइयों में पाबंदियां एक निर्धारित स्तर (कम से कम तीन) तक बनी रहेंगी।अधिसूचना में राज्य की 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण करने पर भी जोर देने को कहा गया है।
मामले बढ़ने पर कड़ी होंगी पाबंदियां सरकार के इस कदम से संकेत मिलता है कि कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस स्वरूप से कुछ लोगों के संक्रमित पाये जाने के बाद मामलों में किसी तरह की वृद्धि होने पर पाबंदियां कड़ी कर दी जाएंगी।
महाराष्ट्र सरकार ने अनलॉक योजना में किया बदलाव
गौरतलब है कि डेल्टा प्लस स्वरूप को केंद्र ने चिंता का विषय बताया है। अधिसूचना में इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार की ओर से घोषित पांच स्तर की अनलॉक योजना में भी संशोधन किया गया है।
क्या है डेल्टा प्लस वैरिएंट
कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट बेहद संक्रामक डेल्टा वैरिएंट का ही बदला हुआ रूप है। भारत में दूसरी लहर के लिए डेल्टा ही जिम्मेदार माना जाता है। डेल्टा प्लस वैरिएंट (B.1.617.2.1) डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) में ही आए बदलाव से बना है। डेल्टा वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में आए एक बदलाव (म्यूटेशन) के कारण डेल्टा प्लस बना। स्पाइक प्रोटीन से ही वायरस शरीर में फैलता है। डेल्टा प्लस के स्पाइक प्रोटीन में जो बदलाव देखा गया है, वहीं बदलाव साउथ अफ्रीका में सबसे पहले पाए गए बीटा वैरिएंट में भी देखा गया है।
फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स