Corona Death: कोविड आईसीयू में बुजुर्गों से ज्यादा युवाओं ने तोड़ा दम, एम्स की स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा

Corona Death: कोविड आईसीयू में बुजुर्गों से ज्यादा युवाओं ने तोड़ा दम, एम्स की स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
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नई दिल्ली
कोविड की वजह से एम्स के आईसीयू में एडमिट बुजुर्गों से ज्यादा 50 साल से कम उम्र के मरीजों की मौत हुई है। चौंकाने वाला यह आंकड़ा एम्स की स्टडी में मिला है। एम्स के आईसीयू में 247 की मौत हुईं, जिसमें 42.1 पर्सेंट मरने वालों की उम्र 18 से 50 साल के बीच पाई गई है। आईसीयू में मरने वाले 94.74 पर्सेंट में एक और एक से अधिक कोमॉर्बिडिटीज पाई गई। सिर्फ 5 पर्सेंट ऐसे लोगों की मौत हुई, जिनमें कोई कोमॉर्बिडिटीज नहीं थी। यह कोविड के पहले फेज की स्टडी है, जिसमें 50 साल से कम उम्र वालों की मौत का आंकड़ा बुजुर्गों से ज्यादा है। एक्सपर्ट का कहना है कि इसकी एक बड़ी वजह यह है कि 50 साल से कम उम्र के लोग किसी न किसी कोमॉर्बिडिटीज के शिकार हैं, जिसकी वजह से उनमें बीमारी सीवियर होती है और मौत का खतरा भी ज्यादा होता है।

एम्स में यह स्टडी 4 अप्रैल से लेकर 24 जुलाई के बीच की गई। कुल 654 मरीज आईसीयू में एडमिट हुए थे। जिसमें से 227 यानी 37.7 पर्सेंट की मौत हो गई। स्टडी में 65 पर्सेंट पुरुष थे, मरने वालों की ऐवरेज उम्र 56 साल थी, लेकिन सबसे कम 18 साल की उम्र में भी मौत हुई और ज्यादा से ज्यादा 97 साल थी। इस बारे में एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ डॉक्टर राजेश मल्होत्रा ने कहा कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में मौत का आंकड़ा ज्यादा है। इस स्टडी में हमने यह देखा कि 42.1 पर्सेंट की उम्र 50 साल से कम है, जबकि 51 से 65 साल के बीच में यह 34.8 पर्सेंट और 65 साल से ऊपर 23.1 पर्सेंट है।

डॉक्टर मल्होत्रा ने कहा कि इसकी दो वजह हो सकती है। पहली वजह यह है कि हमारे देश में युवाओं की संख्या ज्यादा है, इसलिए एडिमट होने वाले ज्यादा लोग वो हैं, इसलिए इनकी संख्या भी ज्यादा है। लेकिन दूसरी वजह ज्यादा चिंता की बात है कि 50 साल से कम उम्र वाले भी कोमॉर्बिडिटीज के शिकार हैं। स्टडी में लगभग 95 पर्सेंट लोगों में एक या एक से अधिक बीमारी थी। जिसमें हाइपरटेंशन, डायबिटीज, क्रोनिक किडनी डिजीज। यहां ऐसा लग रहा है कि 50 साल से कम उम्र के लोग भी किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं, जिसकी वजह से कोविड उनके लिए ज्यादा सीवियर बना।

विदेशों में बुजुर्गों की ज्यादा मौतें
उन्होंने कहा कि विदेशों में बुजुर्गों की मौत ज्यादा हुई है, चाहे अमेरिका हो या ब्रिटेन। इसकी वजह यह भी है कि वहां पर बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है और भारत में युवाओं की संख्या ज्यादा है। लेकिन, भारत के युवा किसी न किसी बीमारी के शिकार हैं और यह उनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है। न केवल ब्लड प्रेशर और डायबिटीज, बल्कि मोटापा भी इस बीमारी के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि इस स्टडी के आधार पर यह साफ हो रहा है कि जिन्हें दूसरी बीमारी थी, चाहे उनकी उम्र कम क्यों न हो, उनके लिए यह वायरस ज्यादा खतरनाक व जानलेवा बना।

बच्चों के केस में भी कम मौतें
डॉक्टर राजेश मल्होत्रा ने कहा कि पहली बार बच्चों को भी इस स्टडी में शामिल किया गया था। इसमें 46 बच्चे आईसीयू में थे, जिसमें से 6 की मौत हुई, यानी यह औसत 13 पर्सेंट दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि बच्चों में भी जिनकी मौत हुई है, उनमें कई प्रकार की दूसरी बीमारी भी थी, जिसमें सबसे प्रमुख मोटापा था। उन्होंने कहा कि इस स्टडी में भी इस बात को जोर मिल रहा है कि बच्चों में कोरोना उतना घातक नहीं है।

एम्स में आते हैं ज्यादा गंभीर मरीज
डॉक्टर राजेश मल्होत्रा ने कहा कि जहां तक एम्स के आईसीयू में मौत की बात है तो इसके कई कारण है। सबसे बड़ी वजह यह है कि अधिकतर मरीज सीवियर हालात में इलाज के लिए पहुंचते हैं। स्टडी में पाया गया कि 22 पर्सेंट मरीज वेंटिलेटर के साथ ही एडमिट हुए और 28 पर्सेंट मरीज 24 घंटे के अंदर वेंटिलेटर पर चले गए। यानी 50 पर्सेंट मरीज सीवियर हालात में थे। इस स्टडी में यह भी साफ हो गया कि कि कोविड न केवल पुरुषों को अपना जयादा शिकार बनाया बल्कि मौत भी उनकी ही ज्यादा हुई।

  • 654 मरीज एडमिट हुए एम्स के आईसीयू में
  • 247 की मौत हुई इसमें से
  • 94.74 पर्सेंट कोमॉर्बिडिटीज के शिकार मिले
  • 65.9 पर्सेंट मरने वाले पुरुष थे

मरने वालों की उम्र

  • 42.1 पर्सेंट की उम्र 18 से 50 साल
  • 34.8 पर्सेंट की उम्र 51 से 65 साल
  • 23.1 पर्सेंट की उम्र 65 साल से ऊपर

किसको क्या बीमारी थी (कोविड के अलावा)

  • हाइपरटेंशन 43.3
  • डायबिटीज 34.8
  • क्रोनिक किडनी डिजीज 20.6
  • कोरोनरी आर्टरी डिजीज 16.2
  • क्रोनिक लिवर डिजीज 7.7

बीमारी के लक्षण (प्रतिशत में)

  • फीवर 75.7
  • कफ 68.8
  • सांस में दिक्कत 67.6
  • चेस्ट पेन 5.3
  • पेट दर्द 4.9

मौत की वजह (प्रतिशत में)

  • सेप्सीस और मल्टी आर्गन फेल 55.1
  • सीवियर एक्यूट रेसप्रेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम 25.5
  • कार्डियोजेनिक शॉक 9.3
  • स्ट्रोक 6.9
  • पल्मोनरी एम्बोलिज्म 2.8

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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