क्या रंग दिखाएगा कोरोना का खतरनाक 'डेल्टा प्लस' रूप, साइंटिस्ट भी हैं हैरान

क्या रंग दिखाएगा कोरोना का खतरनाक 'डेल्टा प्लस' रूप, साइंटिस्ट भी हैं हैरान
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नई दिल्ली
कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देशों में चिंता बढ़ा ही रहा है, इस बीच यह म्यूटेट होकर डेल्टा प्लस या AY.1 में भी तब्दील हो गया है। डेल्टा की तरह डेल्टा प्लस से संक्रमण के मामले भी सबसे पहले भारत में मिले हैं। सरकार इस पर करीबी नजर रखे हुए हैं। वैज्ञानिक लगातार जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए इसका अध्ययन कर रहे हैं। डेल्टा वैरिएंट से देश-दुनिया में मची खलबली के बीच वैज्ञानिक भी हैरान हैं कि इसका प्लस वैरिएंट कैसा रंग दिखाएगा। क्या यह डेल्टा से भी ज्यादा संक्रामण है और क्या यह वैक्सीन को चकमा दे सकता है? एक्सपर्ट अभी इसका जवाब तलाश रहे हैं।

डेल्टा से ज्यादा खतरनाक डेल्टा प्लस?
डेल्टा प्लस को लेकर आशंका गहरा रही है कि यह डेल्टा और अल्फा वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक है यानी यह तेजी से फैलेगा। मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र और केरल में भी इससे संक्रमण के मामले सामने आए हैं। वैज्ञानिक जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए लगातार इस वेरिएंट पर नजर बनाए हुए हैं और जल्द ही डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर जीनोम सीक्वेंसिंग बुलेटिन जारी हो सकती है।

डेल्टा वेरिएंट से घट रहा था ऑक्सिजन लेवल, डेल्टा प्लस से क्या होगा?
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में बायोटेक्नॉलजी डिपार्टमेंट में असोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर शुभ्रदीप कर्माकर के मुताबिक, डेल्टा प्लस वेरिएंट किस तरह का रंग दिखाएगा, अभी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा, ‘हर वेरिएंट अलग तरह के क्लिनिकल रिस्पॉन्स के साथ आता है। पिछले वेरिएंट में ऑक्सिजन लेवल घट रहा था लेकिन हम नहीं जानते कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के कैसे नतीजे होंगे।’ भारत में दूसरी लहर के बहुत ही ज्यादा खतरनाक होने के पीछे डेल्टा वेरिएंट ही था।

फिलहाल डेल्टा प्लस से चिंतित होने की जरूरत नहीं: डॉक्टर शुभ्रदीप
डॉक्टर शुभ्रदीप कहते हैं, ‘डेल्टा प्लस का एक अतिरिक्त म्यूटेंट है K417N जो डेल्टा (B.1.617.2)में तब्दील हुआ और अब डेल्टा प्लस में। ऐसी अटकलें हैं कि यह म्यूटेंट और ज्यादा संक्रामक है और यह अल्फा वेरिएंट के मुकाबले 35-60 प्रतिशत ज्यादा तेजी से फैलने वाला है।’ हालांकि, वह इस वेरिएंट को चिंता बढ़ाने वाला नहीं मानते। डॉक्टर शुभ्रदीप ने कहा, ‘भारत में इसके केस अब भी बहुत ही कम हैं। अभी भी यह वेरिएंट चिंता वाला नहीं बल्कि इंट्रेस्ट जगाने वाला है कि यह कैसा है क्योंकि इससे संक्रमित लोगों की संख्या कम है।’

एंटीबॉडी कॉकटेल को बेअसर कर सकता है डेल्टा प्लस!
डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारे में जो खतरनाक चीज सामने आ रही है, वह यह है कि इस पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल ट्रीटमेंट का ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। शुरुआती डेटा बता रहे हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर मरीजों में बहुत ही कारगर रहा एंटीबॉडी कॉकटेल इस पर उतना कारगर नहीं दिख रहा है। लेकिन इससे संक्रमण के मामले अभी भी काफी कम हैं, जो अच्छा संकेत है।

राहत- 64 साल की पहली मरीज घर रहते ही हो गई ठीक
डेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमण का पहला मामला मध्य प्रदेश में मिला। भोपाल में एक 64 साल की महिला में इस नए वेरिएंट से संक्रमण का पहला मामला सामने आया। राहत की बात यह रही कि महिला होम आइसोलेशन में ही रहते हुए पूरी तरह स्वस्थ हो गई। यह बात उम्मीद जगाने वाली है। ज्यादातर एक्सपर्ट और वैज्ञानिकों का यही मानना है कि भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट अभी बहुत धीरे-धीरे ही फैल रहा है।

कहां-कहां मिले डेल्टा वेरिएंट?
अब तक महाराष्ट्र में डेल्टा वेरिएंट के 21 मामले सामने आ चुके हैं। केरल में एक 4 साल का मासूम भी इसकी चपेट में है। मध्य प्रदेश में डेल्टा वेरिएंट से मौत का भी मामला सामने आ चुका है। सरकार डेल्टा प्लस के मामलों पर करीबी नजर रख रही है ताकि इसे फैलने से रोकने के लिए समय पर और उचित कदम उठाए जा सकें। वैज्ञानिक भी लगातार जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए इसकी निगरानी कर रहे हैं।

सरकार लगातार रख रही डेल्टा प्लस संक्रमण के मामलों पर नजर
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोम सीक्वेंसिंग कंसोर्सिया (INSACOG) जल्द ही डेल्टा प्लस वेरिएंट पर जीनोमिक सर्विलांस बुलेटिन जारी कर सकती है। INSACOG में देश के 10 बड़े लैब शामिल हैं जो जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस का अध्ययन कर रहे हैं। इसमें बेंगलुरु, हैदराबाद, नई दिल्ली और पुणे के लैब शामिल हैं।

(इनपुट- ANI)

फोटो और समाचार साभार : नवभारत टाइम्स

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