कोविशील्ड की खुराकों में अंतराल बढ़ाने पर क्या विशेषज्ञों में नहीं थी आम राय? सरकार ने बताया सच
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को उन खबरों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया है कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने को लेकर तकनीकी विशेषज्ञों में असहमति थी। मंत्रालय ने कहा कि यह फैसला एडिनोवेक्टर टीकों के व्यवहार के बारे में वैज्ञानिक कारणों पर आधारित था।
केंद्र सरकार ने कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच के अंतर को छह से आठ सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करने के फैसले को 13 मई को मंजूरी दी थी। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआई) की सिफारिश पर यह मंजूरी दी गई।
एनटीएजीआई के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह की 22वीं बैठक 10 मई को हुई थी। उसमें राष्ट्रीय टीकाकरण नीति के तहत उपयोग में लाये जा रहे कोविशील्ड टीके की खुराकों में अंतराल को बढ़ाने का प्रस्ताव आया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विशेष रूप से ब्रिटेन के वास्तविक जीवन के साक्ष्यों के आधार पर कोविड-19 कार्यसमूह ने कोविशील्ड की दो खुराक के बीच अंतराल को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह करने पर सहमति जताई।
बयान के अनुसार 13 मई को एनटीएजीआई की स्थायी तकनीकी उप-समिति (एसटीएससी) की बैठक में सिफारिश पर विचार किया गया। मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 कार्यसमूह और एसटीएससी दोनों की ही बैठकों में तीनों में से किसी सदस्य ने असहमति व्यक्त नहीं की थी जिनके नाम खबर में हैं। इनमें डॉ मैथ्यू वर्गीज, डॉ एम डी गुप्ते और डॉ जे पी मुलियिल हैं। मंत्रालय ने कहा कि डॉ वर्गीज ने अपनी कथित असहमति के मुद्दे पर संवाददाता से बात करने से इनकार कर दिया था।
उधर, सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह के कोरोना संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख डॉ. एन के अरोड़ा ने कहा है कि भारत कोविशील्ड टीके की खुराकों के अंतराल की समीक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि नए नए आंकड़ों के आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे। अरोड़ा ने कोरोना और टीकाकरण संबंधी स्थिति को बहुत परिवर्तनशील बताया है।
साभार : नवभारत टाइम्स